पाप की ओर | Pap Ki Aur
श्रेणी : अपराध / Crime
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.92 MB
कुल पष्ठ :
184
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(1९ )
निर्भा रद्द गया । संप्रहि-काल में टर्की तो इस घात का उ्वलेत उदा-
हरण टी है । जय से वोर-शिरोमणि कमाक्षपाशा ने छापने
हाथों में शाप्तन की चागडोर ली है; तभी से टर्की की उम्ति दिन
दूनी झौर रात 'दौगुवी हो रही दे | श्रतएव यदि धर्म राज्य के साथ
घाँघ दिया जाप, तो वद-देश कभी उच्तिं नहीं कर सझता । ठीक
यही दशा घाजकन हमारे देश की शोर एक शताठ्दी एवं जापान 'टी
थी । जापान घपनी धार्मिक विमूढ़ता में इतना पंपा हुआ था कि
एक 'घर्स की साननेवाली जाति दूपरी घाति को खाए जाती थी ।
'ौर '्रशांति के कारण देश की उन्नति हो दी न सकती थी ।
शोगुन-राल-वंश के काल में लब शांति स्थापित हुई, तो देश की
न झोना झचश्य श्राश्चर्य की बात थी । चाद में रूस शरीर जापान-
युद्ध के पश्चाव जापानने ऐसी उन्नति की कि देखनेवाले दूंग रह जाते
हैं । ससकी इस उच्नति का सुख्य फारण था देश से घार्तिक कुपुश्कारों
का लुप्व हो जान । जापान की धार्मिक इृढ़ता पश्चिम के संयोग से
धीरे-घोरे कम होने लगी, और 'ाजकज्ञ तो जापानी श्रपने धार्मिक
विचारों में इचने हैं कि शायद उनके यददीं कोहे भी काम कैवन्त
घमें के घटाने से रु नहीं रहता । ये संसार फे राष्ट्र
के साथ रोटी-नेटी का. ब्यवद्दार कर सकते दें--यदि ऐपी विसूढ़ता
मी कुछ भी है, तो जापान की उन्नति के साथ-साथ चह
भी जोप हो रही है । फिंतु हमारा देश ! इमारे देश की दशा कुछ
श्र दी है, जो फमी भो झपने को से मुक्त नदीं
कर सकता । धर नव वर यद दशा रहेगी, तब सके भारत की
भी नहीं हो सकती ।
ध्रस्तु । शोयुन-राज्य-फाद से लापान की श्रार्पिक, * सामाजिक,
भर साहित्यिक उन्नति भारंभ होती है । छोग खाने-पीने से
खुश थे, श्ीर सानंद जीवन व्यदीत करते थे | खून से भरी हुई तक्त-
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