हिन्दू भारत का उत्कर्ष | Hindu Barat Ka Utkarsh
श्रेणी : धार्मिक / Religious, हिंदू - Hinduism
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
23.56 MB
कुल पष्ठ :
545
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्री चिन्तामणि विनायक वैध - Chintamani vinayak vaidh
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)५ हुए बृत्तात्तौसे बहुत सहायता मिलती है । उनका उपयोग कर पांचवीं पुर्तक्में इस कालकी राजनीतिक धार्सिक सामा जिक स्थितियौका सामान्य सिंहावलोकन किया गया है । यह झालोचना झन्यत्र उपलब्ध न होनेखे शाशा है पाठकोंके लिये विशेष रुचिकर होगी । शारतवषका इतिहास विशेषतः घार्मिक इतिहास है घ्रौर इस कालमें बौद्ध घर्मके पूर्ण पराभव तथा हिन्दू घर्मके आजकल चाले रूुपमें दृढ़ताके साथ स्थापित दोनेका विवेचन इस शागमे विस्तारसे किया गया है। इस धर्म- क्रान्तिका श्रेय मुख्यतः छुमारिल भट्ट श्रौर शंकराचार्यको है श्रतः इनका जीवन-दत्तार्त भी जितना मिल सका देनेका यल्न किया गया है। पिछुले काल-विभागके समान इस कालमे भी राजनीतिक दष्टिसे कन्नोजके राज्यका महत्व था। विंदेशवाले कन्नौजको ही हिन्दुस्थान समझते थे । कनौजके प्रतिद्दार थे भी बड़े बलिप्ठ । परस्तु दक्षिणुमे मालखेड़का राष्ट्रकूट राज्य इससे भी झधिक शक्तिशाली था । इन राष्ट्रकूटौका इतिहास प्रायः हालके मराठा इतिहास जैसा ही है और मनोर॑जक है । बंगालके पाल राजा- का साध्राज्य भी इस समय बलसखम्पन्न था । यही इस भागके चर्युनीय विषयकी रूपरेखा है। झाशा है कि बह पाठकौकों पहले भागके जैसा ही रुचिकर होगा । परिशिष्टमे चार पांच महत्वपूर्ण किन्तु वादग्रस्त विषयोका बिवेचन किया गया है। मराठोके क्षत्रिय होनेके जो नये प्रमाण दिये गये हैं घौर उनपर जो की गयी है बह डावश्य पाठकोके लिये मनन करने योग्य है ।
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