पृथ्वीराज रासो भाग 2 | The Prithviraj Raso Of Chand Bardai Vol Ii
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
19.94 MB
कुल पष्ठ :
550
श्रेणी :
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चंद बरदाई - Chand Bardai
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श्यामसुंदर दास - Shyam Sundar Das
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(६ )
की अवश्य जीतना चाहिए | ४१४
१४ खुरासान खां; तातार खां झादि सरदारों
का बादशाह की बात सुन श्राक्रोश में
श्राना ।
१६ सब सरदारों का सज कर धावा करना । ५२५
१७ सेना की चढ़ाई का श्रारम्भ होना ।
१८ चौहान की सेना का पूर्व श्रौर पन्छिम
दोनों ओर से चढ़कर मिलना | २८
१६ खुरासानियों का चीहानों पर ट्रट पड़ना ।
२० शाह की सेना का युद्ध वर्रोन। २७
२१ दोनों सेनाओं का सुठेभड़ होना, सलप
[1
राज का भी आ कर मिलना | दे
२२ सलप की प्रशंसा ।
२३ आजानवाहु लोहाना का मार कर भागना। ५२८
२४ सलप राज की वीरता का वर्यन । मर
२४५ बड़गुजर आरे तातार खां का युद्ध वर्यान । 'शर६£
२६ दोनों सेनाओं का एक घड़ी तक एक में
एक हो जाना और घोर युद्ध होना,
आकाश न सूभना ।
२७ कैमास का साथ छोड़ कन्ह चौहान का
भी साख्डे में आ जाना ! भ३०
२८ कन्ह का बड़ी वीरता से धावा करना । “
२६. दोनों ओर के सरदारों का महा क्रोध
करके युद्ध करना । थी
३० आकाश में देवांगनाओं का वारों का
बरन करना ।
३९ सुरुराम का एक मंत्र लिखकर म्लेच्छों
की सेना पर डालना । ही
३२ मंत्र के बल से शाह की सेना का माया
में मोहित हो जाना, इधर से काजी खां
का मंत्र बल करना और युद्ध होना
३३ मारूफ खां का शाह से कहना कि अब
बड़ी भीड़ पड़ी जिन काजी खां पर
ख़ुरासान का दारमदार था उन्हों ने
तसवीह छोड़ दी, हिम्मत हार दी ।
रे४ ख़रासान खां आदि सरदारों का फिर
३२
रेड
एकत्र होना श्र लड़ने को तय्यार होना ५३९३
सेना के श्रीच में प्रश्वीराज की
शोभा का वर्गान । भर
३६ पृथ्वीराज का व्रिजय पाना, शहाबुद्दीन
का बांघा जाना | पट
३७ इस युद्ध में सलप राज क्री वारता का बरगान ४३७
३८ सलप राज का घोर युद्ध करना, उनकी
वीरता की बड़ाई |
३६. पृथ्वीराज का सलप की सहायता करना
४० पृथ्वीराज की वीरता की प्रशंसा | ही
४१ सलप राज के युद्ध की वीरता का :
। १
४२ म्लेच्ठों की सेना का मुँह माइ़ना,
सुलतान का हाथी छोड़ घोड़े पर चढ़
कर भागना ।
४३ म्लेच्छ सेना और सुलतान की भगेड़
का वर्यन |
दी
४४ इस युद्ध में सलप राज के यश पानि का,
वर्गीन, सुलतान का वांधा जाना। ... ,;
४५ सुलतान को जीत कर सलप राज का
लूट मचाना।
४४ सुलतान की सेना का भागना, चौहान
का पीछा करना, पृथ्वीराज की दुद्दाई
फिरना 1 20
४७ एथ्वीराज के जीत हक ग्जैजे कार मचना
४८ पृथ्वीराज के सरदारों की वीरता की
प्रशसा | कक
४६ पृथ्वीराज का जीतना, तेरह खान सर-
दारों का पकड़ा जाना; साखूंडे का
ट्रूठना । श्र
५० इघर शहाबुद्दीन को दराड देने, उधर...
' कैमास का चालुक्यों को जीतने का
वर्सन ।
५१ शाह के बांधने, भीमदेव के जीतने और
इंच्छिनी के व्याहने की प्रशसा ।
शर संवत ११३६ के माघ सुदी में सुलतान-
प्छ१
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