ब्रह्मचर्य्य सन्देश | Brahmacharya-sandesh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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७ के गीत गाने में ठह कर नहीं छोडी गई परन्तु उन गीतों . के साथ-साय उस के वैज्ञानिक स्वर्प पर भी विस्तृत विचार किया गया हैं उस्त के हरेक पहलू पर प्रकाश डाला गया है । गुनराती तथा मराठी में इस पुस्तक का रूपान्तर हो चुका है । इस पुस्तक में भ्र्रेजी की पुस्तक से बहुत कुछ ज्याव्ह है । में चाहता था कि गुमराती तथा मराठी के भुवादक कुछ देर उहरते शोर श्रम्रेनी से श्रहवाद करने की श्पेक्षा मेरी हिन्टी पुस्तक से ्रन्वाद करते । परन्तु उन्हें जल्दी थी । मैं चाहता है इस पुस्तक का भारत की सत्र भापा्थों मैं श्रनुवाद हो जाय धर १३--१४ वर्ष की थायु के प्रत्येक बालक के हाय में यह पुस्तक पहुँचे । इस पुस्तक का दूसरी भाषाओं में भ्रदवाद करने की सब मो खुली छुट्टी है । यह सन्देश इस युग के प्रवतैक ऋषि दयानन्द का सन्देश है। उस्ती सन्देश को श्राघार में रस कर उसे प्ष्ट बनाने के लिये पाश्यात्य विद्वानों के ग्रन्यों से सहायता लेने में सफोच नहीं किया गया । इसमें जो कुछ है वह दूसरों का है बस मापा मेरी तथा दृष्टिकोण ऋषि दयानन्द शोर शाचार्य श्रद्धानन्द का है। इस पुस्तक के लिखने में प० कुष्युव्त जी श्रायुवेंटालकार फैनाबाद ने बहुत सहायता पहुँचाई है । शारीर-शाखर के श्रध्यार्यों का उल्या तो प्राय उन्हीं का क्या हुआ है। प० शकरदत जी विद्यालकार ने इम पुस्तक के प्रकाशन मैं बडी सहायता की है।




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