तैरापंथ का इतिहास खंड 1 | Terapanth Ka Itihas Khand-1

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Terapanth Ka Itihas Khand-1 by मुनि बुद्धमल्ल - Muni Buddhamll

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(प्र का सत-समागम १ ५३, और कोई होगी १५५, व्याख्यान में पत्थर १४४, भगवान्‌ का अपराधी १४६, चिन्ता का निराकरण १५६, एक छिंगजी की आण १४७, सफल प्रवास १४७ । अध्याय ६ : घरुद्धावस्था पृष्ठ १६८-१६२ विहार स्थगन पृ० १ ५८, तपस्या मे अभिरुचि १४८, दर्शना थियो का मागमन १९४९, अन्तिम शिक्षा १६ ०, आत्मालोचन १६०, फिर राजनगर में १६०, सागारिक अनशन १६०, महाप्रयाण १६१, महाराणा का आग्रह १६१ । अध्याय १० ज्ञातव्य विवरण पुष्ठ १६३-१६४ महत्त्वपूर्ण वर्ष पु० १६३, महत्त्वपूर्ण स्थान १६३, आयुष्य विवरण १६३, विहार क्षेत्र १६३, चातुर्मास १९६३, शिष्य-सम्पदा १६४ । चतुथ परिच्छेद (आचार्य श्री रायचन्दजी १ ६४-१४ ०) शष्याय १ गृहि-जीवन पृष्ठ १दृ-१६८ सम्पन्न घर पृ० १६७, घर्म का प्रवेद १६७, विरागभाव ३ ६७, स्वामीजी का आगमन १६८ । अध्याय ९. साधु-जीवन एष्ठ १६४६-१७१ सयम-ग्रहण पृ० १६९, भविष्यवाणी १६९, ब्रह्मचारी कह रहा है १६ ९, मैं मोह क्यो करूं ? १७०, आागम-ज्ञान १७०, सरस व्याख्यान-दाता १७०, निपुण सहयोगी १७१३ अध्याय ३ उत्तराधिकार-प्रासति पृष्ठ १७२-१७६ अनेक योग्य व्यक्ति पु० १७२, परामर्द १७२, दो नाम १७३, पद-समपैण १७४ । अध्याय ४. प्रभावशाछी आचार्य पृष्ठ १७७-१८२ अनुभवी पृ० १७७, तपस्या पेरक १७७, तमाखू पर नियत्रण ३ ७७, दीक्षा-घृद्ध और १७६, नरवेद तिथि १८०, अपने प्रति सत्य की विजय १८१, इक दिन ऐसो आवियो श८२। अध्याय ५ . जनोपकारक यात्राएँ पृष्ठ १८३-१८६ मालव-यात्रा पृ० १८३, थली में पदार्पण १५३, अन्य प्रचारक १८३, थी निवासी १८ ३, घमं-प्रसार १ ८४, अनेक चातुर्मास १ ८४, अनेक देश , एक यात्रा १८४, गुजरात में १८४, सौराषट्र में १८५, कच्छ में १८४ । अध्याय ६ : अचानक शरीरान्त माऊव की प्रार्थना पु० ति सत्य १८०, पष्ठ १८७-१८८ १८७, भन्तिम विहार १८७. श्वास-प्रकोप १८७, शरीरान्त १८५ ॥




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