भारत के प्राचीन राजवंश भाग -1 | Bharat Ke Prachin Rajvansh Part - i
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5.68 MB
कुल पष्ठ :
370
श्रेणी :
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No Information available about पण्डित विश्वेश्चरनाथ रेड - pandit vishveshcharnath Red
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(रद)
जब पुम्याय दी हुई जागपमें ऐप होत्य था तप कल्चुरी राताद्ध अपने र्यने
तो और भी बडे बडे रेरदितिक काम होते होगे । परन्तु उनका लिया दूर 'िवरण
न सिलनसे लचारी है ।
कलवुर्रियोंके साज्यके साथ ही उनवौ लाति नी जाती रहा । अत्रे कहीं कोई
उनका भाम छेनेयरा नहीं सुना जाता है । हैदयदगफे कुछ लोग जरूग मध्यप्रदेश,
सयुक््यन्त और चिटारमें पये ते है । हमको मुन्झी माथव गीपालस पता लया दै.
कि रतनपुर ( मध्यप्रदेश ) में देदयवशियोंका राय उनके शूल पुस्प सिद्धगामने
बला आता था 1 पर यहाँदे ५६ वें राजा रपुनधारिहका मरहटेंनि रतनपुरमे निकाल
निया । उसरा मौंटादमें रतनपोपल्तिंद इस समय उसी तिलेनें ० वें
जायारदार है ! यद रलपुर सिद्धगमंतरे देटे मोर्वपन वसाया था ।
सपुक्ततान्तमें दढदी चिछ बलियारें रात हैंदेयपशी हैं। परत थे कपनेकों
सुरनवर्धी घततति है ।
'ऐस ही कुछ टैटयवशी बिहारनें भी सुने जाते हैं, विनके पस उठ जमादारा
रह गई है ।
परमार-वदा ।
देन्यवधके वाद परमए वशक्ता इतिदोस लिखा गया दे ।
भानमाल ( माखाद ) में पदले पहल इस ( पीर ) वादा राय क्ण्रालेस
वायन दुआ था । यद्द आवृके सदा धथुकका बेटा और देवशररा पीता था ॥
परनारोंके आबू पर अधिकार करनेरे पदले दस्त्ठिर्शके हृथूडिये राटोडेनि भे लेंसे
छानकर उस श्रतेश पर अपना रान्य कायम किया था 1
आाघूके दिललेखेंमिं परमारोंके झूल पुच्यका नम धूसरातर लिया है । मारवाद
और मय फौर राजा थी उसोका शॉप्टादमें में । इम ऊपर ढिय शुके हैं के
कुस्परातने सीनमाल ( सार्वाड ) में अपना राज्य जमाया । व्से इनकी कई
गास्राजंनि निरल कर जालोर, सिंवाना, कोटक्रिद्र, पूमल, सवा, परकर, सप्ौर
आदि गंपमि सपना राय वायम क्या 1 कुछ समय वध परमारोका अइवत्ी
(१) सद्दीफए जरीन, जिच्द 3 1
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