इस्लाम के सूफी साधक | Islam Ke Sufi Sadhak

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रे इलमिक सस्कति का विशेष य्रमाव था चबक्ति यूनानी विचारकों की सृनियों का श्वताद श्रनुशीनन तथा शाययन किया जा रहा या । कनस्वरूप युफीमत पर इस्नाम से बाइरी दाता का भी प्रभाय पढ़ने लगा था। इसम तौप सायामार तथा नाम्टिक मत का यश लिलान का अय पुमवन मिधी को दिया जाता हैं । दायर कर श्नुसादी सूफ्यों मे प्रपेकररण मी प्रदत्त लागत हुई खरे व सदा मदादी लिद्धात के पाधक घन गए । दायज़ीर प गुर सिव रे श़प्ू अली थे 1 सनातनी सूफी श् कार्षिस कहने लग थे । थे श्पने को बुला से श्सिन मानते ये श्र अपनी पूजा करन का सुम्क्रव देते थे । इस सम्यरयय से सवाधिक मसिंद कसन ममूर हूं नि्ें इल्नाज कहन की परपगा है । हमसे इरानी था श्र मर उमर पिया का साम था । हस्लात का चुद लोग ने मच्छन मैसाइ बतलागा है स्थाक उसने इपा का शत हुक शथात इश्वर को समस्या प्रतिनियि कहा ईं। उसके श्नुसार मुहम्मर नपियीं में भरेप्ठ हैं यक़ि इसा सता मे संपीच्च ई। उसका शिमलहज का सिदानत विशेष रूप स उल्लसनीए ह । सरियाद विचारधारा मे दया तयां मानती प्रहति को पयक्त करने पे लिए जो शब्द प्रयुक्त हुए हैं व टोर यही ता इल्नाश द्वारा प्रयुक्त लाइन शोर नियत कफ माप दारा प्स्ट हते हूं । पुनराब्तम--पर्ये इसाम झल-तालो कफ समय तक सुशीमन मी स्थिति पुन मुहर हो गइ आर इस्लाम से इसका एक सिशिस स्थान घन गया । ग़ज्ञानी को हुप्जतुन इस्नाम श्रयाव्‌ इस्नाम रक्नक का ल़िताय मिचा था | उसने श्तुमय क्या कि सूरा ध्ांग उसर पंसल का मय शास्वत हे । उसय श्वनुमूति पर श्रधिक ले टिया झोर दरान तया शत मान को गाग समझा | इस प्रहार उसकी प्णानों तस्ययंरक बस गई शोर दद ध्पन युग थी दॉद्धिक स्तर बा प्रतीक झरने गया । उसने सना सनी इस्लाम फ अनुस्प यूपीमत की ब्यास्था की 1 श्ाचार्र्समाधी कई मानों को सेकर ग़ज़ल को इसाग मत से धघिक समामना है। उसमें




User Reviews

  • Bhupender Singh

    at 2020-11-01 21:03:21
    Rated : 2 out of 10 stars.
    is pustak me akshar mite huye dikhayi dete hai
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