योगसाधन की तैयारी | Yog Sadhan Ki Taiyari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(श८) योगसाघनको तैयारी अनुसार जी तर्क किया जाता दे, अनुमान कदते ई । तथा प्राचीन सत्‌ जो अनुभव शब्दोंमें संग्रदीत दोता दे, वद्द आगम द्ोता दें । यदद थी क्लेशवाइक और क्ले्ानियारव' होती दै। सदूगुरके झव्दपर रसनेते जाम हो सकता दै और दाव्दपर विधास रखनेसे नि होती है | प्रमाण- पूर्वक तर करनेसे दोत। है, परंतु वितईमे हानि होती हैं। इस श्रमाणद्भाति लामदायर भी हैं और हानिकारक भी होती हैं 1 उलटा ज्ञान द्ोना मिपयंय कदलाता है । यथार्भ स्वशपमे भिन्न घुछ समझना िपर्ययतृत्ति दे । पदार्यका वास्तविक ययार्य शान होनेसे लाम गौर चलटा शान दोनेमे दो सकता है 1 कई छोग अमसे दानिदारक पदार्गकों उद्घारक समझते हैं और सत्य श्रेष्ठ उद्धाररी द्वानिकारद समझते दें शीर फंस जाते हैं । यद उठा शन है । मनुप्यकों इस प्रकारदी विपरीत भावनासि बचना 'चादिए । बेवल दाच्दसे ही एस कल्पना होती है, परंतु बास्तवर्में उस शाब्दका बाध्य वोई पदार्थ नई देता । दस प्रकारके कल्पनामात्रझो विकल्प काूते दें । यारससे सोना होता दे, ऐसा समझा जाता है। यहां पारस न दोते हुए मीं उतरी कह्पना लॉंगेमिं है । इसके श्रमसे ठौग कंसते दं, मिथ्या मार्गसे गोते खाते रहते हैं । इसी प्रवार इस विपयकी और भी वाते देयनी होती हैं। मनुष्यकी सुदरता, आदि शन्द हैं, परंतु मनुष्यसे मिभन इनका अस्तिव मी दे । इसी प्रकार इस विपयमें समझिये । अजुमभव सबवों है । प्राणी प्रति दिन निद्रा अनुभव लेता है । निदाके समय अमावरा प्रथय आता दै । जाएतिमें जो दिसाई देता था, उस सबरा उस अमाय दो जाता दे । परंतु जागनेकें समय वह कहता है कि जादा | “ सुझे अच्छी नींद लगी थी; मैं अच्छी कार सोया था। ” अर्थात, निदामें भी जीवकों प्रढारका अनुभर आता दै । यदद एक चित्तदीं वृति है । पाचवी चित्तवृत्ति रु्नति दे । अनुभव स्ये हुए विपयका स्मरण करना स्मृति चद्दी जाती दे । उक्त प्ररारकी पाव यृत्तिया हैं । इनका दरएक अतिदिन अनुभव




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