हिंदी रसगंगाधर भाग 2 | Hindi Rasgangadhar Part 2
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
425.76 MB
कुल पष्ठ :
783
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand).... व्यंग्य थे (ध्वनि) को वाच्य अर्थ का उपस्कारक होने के
(5
र-रोति--्र्थाद् विशेष प्रकार की पद-रचना (वामन) ।
३--वक़नोतच्ति--श्र्थात् उक्ति की विचित्रता ( कुंवक ) ।
४-भोग--अर्थात् अथवा रसव्यंज्ना
. ( मट्नायक ) । न
...... फू--धवनि--र्थात् चमत्कारी व्यंग्य अधथे ( ध्वनि
कार शरीर उनके अनुयायी ) बट
.... ई-झसंलच्यक्रम व्यंग्य अर्थात् रस-भाव आदि(विश्वनाथ)।...
७--झौचित्य ( चेमेंद्र ) ।
इन सब मतों का विवेचन करने से पूवे दम, श्रलंकार-
शाख्र के सुबहुमान्य श्रंथ “अलंकार-सर्वस्वः के कर्त्ता ने काव्या-
के विषय में प्राचीन मतों का सार दिखाते हुए जो...
सिद्धांत स्थिर किया है उसके निरूपक संदभ का श्रविकल
अनुवाद संदभ सहित आप लोगों के समक्ष उपस्थित करते हैं-
“सासमह,+ उद्धठ आदि प्राचीन
# “इद् हि तावद्धामद्दोद्धटप्रभतयशिचिरन्तनालड्ारकारा: प्रतीय- हम
दि ... मानमथ वाच्यापस्कारकतया८लड्डारपचनिन्षिप्तं मन्यन्ते । . तथा हि-- गे कर
प्यायोक्ताप्रस्तुतप्रशंसासमासोक्तधालेपव्याजस्तुत्युपमेयापमानत्वयादौ' बंस्तु-
..... मात्र॑ गम्यमानं वाच्यापस्कारकत्वेन “स्वसिद्धये पराक्षेप: परार्थ स्व- .....
पणुम” इति यथायागं द्विविघया भडग्या प्रतिपादित॑ तै: । कि
.........रुद्रटेन तु मावालक्ारो दिचैवोक्त: ( गुणीभूतागुणीभूतबस्तुविषय-
त्वैनेस्यथं: )।. रूपकदौपकापह्द तितुल्ययागितादाबुपमादयलक्ारो बाच्या-
।.. उपेक्षा तु. स्वयमेव प्रतीयमाना कथिता | रखब-.
अप के के.
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