हिंदी रसगंगाधर भाग 2 | Hindi Rasgangadhar Part 2

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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.... व्यंग्य थे (ध्वनि) को वाच्य अर्थ का उपस्कारक होने के (5 र-रोति--्र्थाद्‌ विशेष प्रकार की पद-रचना (वामन) । ३--वक़नोतच्ति--श्र्थात्‌ उक्ति की विचित्रता ( कुंवक ) । ४-भोग--अर्थात्‌ अथवा रसव्यंज्ना . ( मट्नायक ) । न ...... फू--धवनि--र्थात्‌ चमत्कारी व्यंग्य अधथे ( ध्वनि कार शरीर उनके अनुयायी ) बट .... ई-झसंलच्यक्रम व्यंग्य अर्थात्‌ रस-भाव आदि(विश्वनाथ)।... ७--झौचित्य ( चेमेंद्र ) । इन सब मतों का विवेचन करने से पूवे दम, श्रलंकार- शाख्र के सुबहुमान्य श्रंथ “अलंकार-सर्वस्वः के कर्त्ता ने काव्या- के विषय में प्राचीन मतों का सार दिखाते हुए जो... सिद्धांत स्थिर किया है उसके निरूपक संदभ का श्रविकल अनुवाद संदभ सहित आप लोगों के समक्ष उपस्थित करते हैं- “सासमह,+ उद्धठ आदि प्राचीन # “इद् हि तावद्धामद्दोद्धटप्रभतयशिचिरन्तनालड्ारकारा: प्रतीय- हम दि ... मानमथ वाच्यापस्कारकतया८लड्डारपचनिन्षिप्तं मन्यन्ते । . तथा हि-- गे कर प्यायोक्ताप्रस्तुतप्रशंसासमासोक्तधालेपव्याजस्तुत्युपमेयापमानत्वयादौ' बंस्तु- ..... मात्र॑ गम्यमानं वाच्यापस्कारकत्वेन “स्वसिद्धये पराक्षेप: परार्थ स्व- ..... पणुम” इति यथायागं द्विविघया भडग्या प्रतिपादित॑ तै: । कि .........रुद्रटेन तु मावालक्ारो दिचैवोक्त: ( गुणीभूतागुणीभूतबस्तुविषय- त्वैनेस्यथं: )।. रूपकदौपकापह्द तितुल्ययागितादाबुपमादयलक्ारो बाच्या- ।.. उपेक्षा तु. स्वयमेव प्रतीयमाना कथिता | रखब-. अप के के.




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