मानक हिंदी कोष भाग - 2 | Manak Hindi Kosh Part - 2

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Manak Hindi Kosh Part 2 Ac 5048 by बद्रोनाथ कपूर - badroonath kapoor

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सड़बड़ाहुट होना कि वे दृढ़, दान्त या स्थिर न रह सकें। विचलित होना। ४. पदार्थों का क्रम-रहित था तितर-बितर' होता । स० १ खड़बड़ पाब्द उत्पन्न करना! २. व्यक्ति या व्यक्तियों को ऐसी स्थिति में करना कि वे दृढ़, क्ञान्त या स्थिर न रह सकें । विचेलित करना। ३. चीजे अस्त-व्यस्त या तितर-बितर करना । खड़बड़ाहट--स्त्री०[हि०. खडबड़ाना] खडबड़ करने या होने की अक्स्या या भाव। खड़बड़ी---रत्री० [हिप खड़बड़ाना। १ खड़बड़ करने या होने की अवस्था. या भाव। खड़वड़ाहट । २. अरत-व्यस्तता। व्यतिक्रम । ३. दे० 'खलबली' । खड़बिड़ा--वि० न्न्खंडबीहुइ । वड़बीहुड़[--वि० [हिं० खइूइ | बीहड] १. (प्रदेश या प्रान्त) जो समतल न हो। ऊँचा-सीचा। ऊबड़-स्वाबड़। २ बेढंगा। 3. बविकट। सड़मंडल---घि ० [स० खड-मडल] १. अव्यवस्थित रूप से उलटा- पलटा हुआ। अस्त-च्यस्त। तितर-बितर। २ (वर्ग या समाज) जो फ्रमबद्ध या ब्यवस्थित न रह गया हो । खड़सान--पु -खरसान । खड़ा--बिं० [स० स्थान, ब्रज० ठाढ़ा, ठड़ा ] [रत्री० खरी] १. जो धरातल से सीधा ऊपर की ओर' उठा हुआ हो। ऊँचाई के बल में ऊपर की ओर गया हुआ। जेसे--खडी फसल । खड़ा मकान । २. (जीव या पशु- पप्नी ) जो. अपने पैरों के सहारे डारीर सीधा करके ऊपर उठा हो। जो झुका, ब्रठा या लेटा न हो। जैसे--नौकर सामने खड़ा था। पद--स्वई खड़े --एतनी जल्दी की बंठने तक का अवकाश न हो। जेंग--वें आये जोर खड़े-खड़े अपना काम निकालकर चल दिये। खड़ी सवारी - -किसी के आने-जाने के सबध में, आदर या व्यंग्य के लिए, चटपट, तलुरन्त। जंसे--खडी सवारी आई और चली गई। ३. कोई काम करने के लिए उद्यत, तत्पर या कटिबद्ध । जैसे--आप स्व हो जायें तो. विवाह के सब काम सहज में निपट जायेंगे। ४ निर्वाधिन में चुन जाने के लिए; उम्मेदवार के रूप में प्रस्तुत होनेबाला । जैसे--इस क्षेत्र से दस उम्मेदवार खड़े है। ५. जो. चलते-चलते कही पहुँचवार ठहर या रुक गया हा। जैसे--मोटर या गाड़ी स्वषी कर दो। ६ एक स्थान पर जमा था रुका. रहनेवाला। जैस--खडा पानी । ७. (अत या दाना) जो गला, दूटा या पिसा न हो। पुरा। समूचा। जैसे-- खड़े चावल । ८. ठीक, पूरा या भरपूर। जेसे--खड़ा जवाब (देखें) । ९. जो नये रूप में बनकर या यों ही घटनाक्रम अथवा सयोग से उपस्थित या प्राप्त हुआ हो। जैसे-- (क) झगड़ा या प्रदन खड़ा करना। (खं) कोई चीज बेचकर रुपए खड़े करना। १०. जो किसी प्रकार तैयार करके काम में आने के योग्य बनाया गया हो। जैसे--खेमा खड़ा करना। ११. (ढाँचा) प्रस्तुत करना। बनाना। जैसे--चित्र खड़ा करना, योजना खड़ी करना । १२. बिना बीच में विश्राम किये तत्काल या तुरंत पूरा किया जाने- वाला। जैसे--खड़ा हुकुम । पद----खड़े घाट-ू (कपड़ों की घुलाई के संबंध में) घोबी' से कराई जानेवाली ऐसी धुलाई जो तुरंत या एकाध दिन के अन्दर ही करा ली जाय। खड़े पाँव-्बिना बीच में रुके या बैठे। जैसे--(क) बिदेश दे खड़ी मसकली से आकर खड़े पाँव स्थानीय देवता के दर्शन करने जाना। (ख) कही जाना और खड़े पाँव लौट आना । खड़ाऊँ--स्त्री- [सं० काष्ठपादुका, पा० कट्ठपादुका, प्रा० ख़ड़ामुआ, खड़ाउआ,उ० खराउ, बं० खरम, का० खराव, कन्न० कडाव, मरा» खड़ावा ] काठ की बनी हुई एक प्रकार की प्रसिद्ध पादुका जिसमें आगे की ओर पैर का अंगूठा और उंगली फँसाने के लिए खूंटी लगी रहती है। खड़ाका--पुं० [अनु०] खड़खड़ शब्द। खटका | क्रि० वि० चटपट। तुरन्त । खड़ा जवाब--पु० [हि० खड़ा [जवाब] कोई ऐसी बात जिसमें स्पष्ट शब्दों में (कं) किसी को करारा उत्तर दिया गया हो। अथवा (ख) उसके अनुरोध की रक्षा न कर सकने की अपनी असमर्थता बताई गई हो। खड़ा दसरंग--पुं० [ देश ० | कुश्ती का एक पेंच जिसे हनुमंत बंध भी कहने हैं । खड़ानन *--पुं०न्त्षडानन । खड़ा पठान--पु० [देश० | जहाज के पिछले भाग का मस्तुल। (लदा० ) खड़िका--स्त्री० [सं० खड-+डीष्‌+कन्‌--टापू, इत्व] खडिया मिट्टी। खड़िया--स्त्री० [स० खटिका ] १ एक प्रकार की चिकनी, मुलायम और सफेद मिट्टी। २ उक्त मिट्टी की बनाई हुई डली या बत्ती जिससे तख्ती आदि पर लिखा जाता है। पद--खड़िया में कोबला--अच्छे के साथ बुरे की मिलावट । स्त्री+ [स० कांड या हि० खड़ा] अरहर के पेड़ से फलियाँ और पत्तियाँ पीटकर झाड़ लेने के बाद बचा हुआ डठल। रहठा। खाड़ी । खड़ी--स्त्री० [हि० खड़िया] खडिया (मिट्टी) । स्त्री [हिं० खड़ा] छोटा पहाड़। पहाडी। स्त्री ० स्‍्न्बारह-खड़ी । वि०[हिं० खड़ा का स्त्रीलिंग रूप] दे० खड़ा । खड़ी खढ़ाई--स्त्री० [ हि० खड़ी--चढ़ाई] वह भूमि जो थोड़ी ढालुआ होने पर भी बहुत-कुछ सीधी ऊपर की ओर गई हो । खड़ी डंक,---स्त्री० [देश० ] मालखंभ की एक कसरत | खड़ी तैराकी--स्त्री० [हि० खड़ी तैराकी] जल में सीधे खड़े होकर पैरों के हारा तैरने की क्रिया या भाव । खड़ी पाई--स्त्री- [हि०] १ खड़े बल मे सीधी छोटी रेखा । र. इस प्रकार (1) खीची जानेवाली बह रेखा जा लिखते समय किसी वाक्य के समाप्त होने पर लगाई जाती है। पूर्ण विराम । खड़ी फसल--स्त्री० [हि० ] खेत की वह उपज या पैदावार जो तैयार तो हो गई हो परन्तु अभी काटी न गई हो। (स्टेडिंग क्राप) छड़ी बोली---स्त्री० [हि० खड़ी +बोली] १. मेरठ, बिजनौर , मुजफ्फर- नगर, सहारनपुर, अम्बाला, पटियाला के पूर्वी भागों तथा रामपुर, मुरादाबाद आदि प्रदेशों के आसपास की बोली। २. उक्त बोली का परिष्कृत, सांस्कृतिक तथा साहिह्मिक रूप जिसे आजकल हिंदी कहा जाता है। ३. नागरी अक्षरों में लिखी हुई उक्त भाषा । कड़ी मसकली-- स्त्री० [हि० खड़ा+-अ० मसकला--रेती | सिकली करनेवालों का एक औजार जिससे बरतनों आदि को खुरनकर जिला करते हैँ।




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