कबीर कसौटी | Kabir Kasauti

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Kabir Kasauti by बाबू लैहना सिंह - Babu Laihana Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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| अजहूँ बिनें काठिन हे दूरी ॥ कहहिं | खूतक खत पिने भठकोरी । जब सवॉर्जात हारे और क न कि पना शिष्य करो ॥ फिर कबीरजी उसकी हि नि 2 .. अगला ला दशा गा हे मी थी न 0 ५ ४ गेट पी. 0 जा सह है «बच वश के डक दे क्र) थी पद मी नर पर लि आए 1 है पर पा श्र कि |) | उरी कर, की! ता (किन थे हु वी ही री / चाप. दी ही व पट एप 0 !




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