२५२ वैष्णव की वार्ता | 252 Vaishnav Ki Varta

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252 Vaishnav Ki Varta by रामदासजी - Ramdasji

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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| अरु गावत हते तब गोविन्द- | । स्वामी घमार गावत हते सो घमार | | रायछाछ़ा ये घमार पूरी करे बिना गोविंदस्वामी चुप | | कर रह जब श्रीगुसाइजान आज्ञा करो गाविददास | | घमार पूरी करो तब गोविदस्वामीन कहीं महाराज | | घमारतों भाज गई वेतो घरमं जाय घुसे खेठतो | | बंद मयो अब कहा गावूं ये सुनके श्रीयुसांईजी चुप | | कर रहे पाछे बठकम पघारे जब एक तुक आपने | बनायके गोविंद स्वामीके नामक वा घमारमं घरी । वादिनसू गाविंदरवार्मीकी घमार ठोकमें साटे वारह | | कही जाय सो गोविंदस्वामी ऐसे क़पापात्र हते जो | | लीछाके देन करिके गान करते हते॥प्रसंग॥ १ ०॥ | सो वे गोविंदस्वामी महाबुनके टेकरापर नित्य | | गान करते दत । श्रीनाथजी नित्य सुनिवेकुं पघा- | | रत हते आर श्रीनाथजीसड़ गानहूं करते इते आर | | वे गोविदस्वामी भगवछ्लीठामं अष्ट सखानमें हते | | सो काइ सम श्रीनाथजी चूकते सो गोविंदस्वामी | भर काटते और गोपिंदस्वामी चूकते जब श्रीना-




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