हिंदी भाषा | Hindi Bhasha

Hindi Bhasha by अमृतलाल - Amritlal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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॥ यो; 1 ' सुमिका । 1. वर्तमान दिस्दी भापाकी जग्मभ्ूमि दिसी है।. पहीं ब्रज भाषा से बदद उत्पय 'इई भौर दीं उसका माम दिस्दी रखा गया। ंरस्मि छसका नाम रेखूत। पड़ा था। बुत दिनों यदी गाम “ रहा। पीछे हिन्दी कइलाई। कुछ भौर पौड़ि इसका नाम उदे,. अब फारसी अपना उदें, नाम च्यॉफा त्थॉँ बना 'इसा रख कर देवनागसो वसोमें दिन्दो भाप! कइलातो है। दिन्दीके लग्म समय उसकी माता ब्जभाषा खाली भाषा कह- खाती थो। द्दोंकि वद्दी उस समय उत्तर भारतको देश भाषा थी । चर बैटीका प्रताप शोधधी इतना वढ़ा कि माताके नामके साथ न्नल लोड़नैंकी भावश्यकता पड़ौ । ब्योकि कुछ बड़ी होकर बेटी भारतवर्षकी प्रधान भाषा वन गई भर माता केवल एक प्रान्तकी भाषा रह गई। भव माता ब्रजमाषा पौर पुत्री हिस्दी भापा कइ- शाती है । यद्यपि हिन्दीकी नोव वइत दिनोंसे पड़ गई थो, पर इसका शाइजइंकि समयते माता जाता है। सुगल सम्द्ाट धाद जददांके दसाये बाशारमें इसका छग्म 'दुभा । _ छु दिनॉतऋ वह निरी दाजारी भाषा वनी रदी ! याज्ञारमें जन्म सर दरोति हो इसका नाम उर्दू, रद, तुर्की भाषाका शब्द है। तुर्कीमें दर्द, लगकर या. छावनोक बाजारकों हैं। शाइजडानी सथकरडे बाजारमें उत्पस कारण




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