हिंदी भाषा की उत्पत्ति | Hindi Bhasha Ki Utpatti

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Hindi Bhasha Ki Utpatti by महावीर प्रसाद - Mahaveer Prasad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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२ हिन्दी भाषा की उत्पत्ति । लगाना-श्रर फिर एेतिहासिक पता, एेसा वेसा नहीं-- बहत कठिन काम है। मैक्स मूलर काल्डवेल, बीम्स श्रार हानेली आदि विद्वानों ने इन विषयों पर बहुत कुछ लिखा है और बहुत- सी अज्ञात बाते जानी हैं, पर खेज, विचार और अध्ययन से भाषाशाख-विंषंयक नित नई बाते मालूम होती जाती ह। इससे पुराने सिद्धान्तों में परिवर्तन दरकार होता है! कोाई-कोई सिद्धान्त ता बिल्कुल दी भ्रसलय साबित हा जातेर। श्रतएव भाषाशासख की इमारत हमेशा ही गिरती रहती है श्रौर हमेशा दही उसकी मरम्मत हुआ करती है। अाजकल हिन्दी की तरफ लोगों का ध्यान पहले की अपेत्ता कुछ भ्रधिक गया है। सारे हिन्दुस्तान में उसका प्रचार करने की चर्चा हे! रही है। बंगाली, मदरासी, महाराष्ट्र, गुज- राती सब लग उसकी उपयुक्तता की तारीफ कर रहे हैं। ऐसे समय मं इस बात के जानने की, हमारी समम्‌ मं, बड़ जरूरत है कि हिन्दी किसे कद्ते हैं? हिन्दुस्ताती किसे कहते हैं? उदू किसे कहते ई ¢ इनकी उत्पत्ति केसे आर कहाँ से हुई ओर इनकी पूर्वेबर्त्ती भाषाओ्रों ने कितने रूपान्तरों के बाद इन्हें पैदा किया ९ इन विषयों पर आज तक कितने द्वी लेख और छोाटी-मेटी पुस्तक निकल चुकी हैं। पर उनमें कह्दी गई बहुतसी बातों = ~-------~---- के संशोधन को श्र ज़रूरत है। “इस देश की गंवर्नमेंट जे यहाँ की भिन्न-भिन्न भाषाओं और बेोलियों की परीक्षा कराकर उनका इतिहास आदि लिखा रही है उससे कितनी




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