मध्य पहाड़ी भाषा [ गढ़वाली कुमाऊँनी ] का अनुशीलन और उमका हिन्दी से सम्बन्ध | Madhy Pahadi Bhasha [ Gadvali Kumauni ] ka anushilan aur uska hindi se sambandh

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Madhy Pahadi Bhasha [ Gadvali Kumauni ] ka anushilan aur uska hindi se sambandh by गुणानन्द जुयाल - Gunanand Juyal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रस्तावना १६ हतु उदे सगि हिनाच्य कौर अलक्पपुतो फा वर्त साम्य रूप से कद दिया है। इससे यही शाठ दो सकता है कि वर्तेमाव गरड़वाझ पर उस समय कुबेर का राज्य था। जिसको राजपानी अलदापुरी थी जो कहीं वर्तमान अलकनरदा मंदी के किनारे ध्यित थी । स्कत्दपुराण में केदारखण्ड का जैसा वर्णन दिया गया है वह वर्तमान गढ़वाछ से मिछता है झुछछमाव धाठकों ने इस पर्वतीय मुमाग में बहुत कम प्रदेश किया उनके बाक्रमण शिवालिक (उपादरूक्ष) की पहाड़ियों तर ही सोमित रहे । इसी छिए उससे आगे के ऊँचे भूमाग को भी वे शिवालिक ही हते रहे । मुउछमानों द्वारा रचित इतिहासों में औरंगजेद के समय ठक भी गढ़वाल अपनी राजपानी श्ोनगर के नाभ छे ही प्रसिद्ध पा । उस छम्तद के इतिहासदेसा गढ़वाल का राजा ने शिखकर सदेव श्रीनगर* का राजा लिपते रहे। इस भूमाग का নাম गदृदास, राजा भजपपाल १५५५७-१५७२ के समय में पढ़ा। बजयपाक से पूर्व गढ़वाछू ५२ छोटे छोटे ठकुरो राजाओं के क्षषिकार में था जो छूटपाट के भय से पर्वत शिसरों पर गढ़ घना कर रहते थे । अजपपाल ते सब को जीत कर विघ्तृत राज्य स्यापित किया तभी से इध भूमाग का नांम गढ़वाल पड़ा। शिस्तु बाहूरी छोग एक शताद्दो पश्चात्‌ तक भी इसे गढ़वाल मं कहकर शिवालछिक या श्रौमयर का राज्य कहते रहे ॥ वयोकि श्रोनगर प्राचीत काछ से ही प्रसिद्ध रहा है। पुराणों में इसे थ्रीपुर कहा गया है ॥ ओर यह सुदाहु को राजधानी कही गयी है। स्वर्गी रोहण के समय पाष्डव १ सुदाहु से मिले थे ५ बतः केदार खण्ड के पषात बहव समय तक इस भूभाग का माम श्रीपुर या श्रीनगर रहा । गढ़वाल धाब्द गढ़वाल से निकला है। अनेक गद़ों के कारण हो इस देश का माम गढ़वाल पड़ा ! इसी पदृवास न्द पर ६ प्रष्यय जो$कर गदृवालो षना है 1 मा-क यह पहले ही बताया जा चुका है कि भद्वाहू लेकर নাল छक बोली जानेदाली सभी मारतोय-आयें-परिवार को बोलियाँ पहाड़ी कहुलाती हैं। इस पहाड़ी भाषा-आप्त के उत्तर में ठिच्दत है जिसमें चीनी परिवार की बोलियों बोलो जाती हैं। पूर्व में स्िककमम ओर दारजिलिग को पहाड़ियों हैं इनमें तिब्बत वर्मी पशिवार को दोलियो बोली जाती हैं। पहाड़ो अदेश के दक्षिण में भारतीय बार्य भापाओं का चेंज है; दक्षिण में डोगरो से बारम्म करके क्रमश: पजादी, खड़ी पर पेड, अरब রন बिद्दारी बोलो जातो हूँ। वादिचप्र में भी डोगरी १. स्कन्दपुराण-केदार दण्ड-४० वो मध्याय । दोक २७-२०-२९ ॥ ९. यदुनाप सरकार 1 दिष्ट जा मौर्गजेव जिल्द २, पृ० २२५ १ १, महामार } वनप्वं, यध्याय १४०, दोक २१.२६१




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