सरल गीता | Saral Geeta
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8.24 MB
कुल पष्ठ :
260
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)॥ श्री: ॥
सरठ गीता १...
पहिला अध्याय ।
( १) धृतराष्रने संजयसे पूछाः-हे संजय ! मेरे पुत्रांने
और पांडवोने घमेभ्रूमि कुरुघ्नेत्रमें युद्धकी इच्छासे इकट्टे होकर
क्या किया
(२) सजयने कहा: -दुर्योधनने पांडवोंकी सुसज्ित खेना
को देखा और गदर द्रोणाचायके पास जा कर कद्दाः--
' ( ३) गुरुजी महाराज ! आपके बुद्धिमान शिष्य घृूष्टयस्त-
ने पांडवेंकी इस मददती सेनाकी मोचबघन्दी की है; इसे देखिये।
(४-६ ) इस सेनामें महावली, मद्दाघजुद्धर, युद्धम भीम और:
अजुनसे टक्कर ेनिवाले सात्यकि, विराट, सहदारथी हुपद, छूष्टकेतु
चेकितान, वीयंवानू काशीराज, पुरुजित, कुन्तिका पिता कुन्तिभो ज,
नरश्रेष्ठ दोव्य, पराक्रसी युघामन्य, बीयवान् उत्तमौज्ञा, अभिमन्य
ओर द्रोपदीके पांचों बेटे, ये सभी महास्थी* यहाँ उपस्थित हैं ।
(४७ ) ओर अब, हे न्नाह्मणवर ! दम लोगोंकि भी सेनापातिया
और झूरखरदासोंका दाल सुनिये । में डनके नाम भी आपको
सुनाये देता हूं ।
(<८ ) सबसे पादिले तो मापद्दी है; फिर भीष्स, कण, रण-
जीत रुप, अश्वत्थासा, विकण भोर सारिश्रवा थे सब घड़े
लड़ाके बीर हूं ।
(९) और भी नाना प्रकारके दास्त्र चलानेमें निपुण और
छ दशइजार द्वार पुरुषोंति मकेले युद्ध करनेराल को महारयी कहते हैं।
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