धन्वन्तरि जरा व्याधि | Dhanvantri Jaravyadhi

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Dhanvantri Jaravyadhi by डॉ शिवकुमार व्यास - Dr. Shiv Kumar Vyasदाऊदयाल गर्ग - Daudayal Garg

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

डॉ शिवकुमार व्यास - Dr. Shiv Kumar Vyas

No Information available about डॉ शिवकुमार व्यास - Dr. Shiv Kumar Vyas

Add Infomation AboutDr. Shiv Kumar Vyas

दाऊदयाल गर्ग - Daudayal Garg

No Information available about दाऊदयाल गर्ग - Daudayal Garg

Add Infomation AboutDaudayal Garg

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
++... बैनर, लि ही न कर्खिराऊ घीच्या सकों.... मेशः वसा के का नकनणदयुन 'रसजकार ' पर स्वर ड भा न गा प्र) दे जरुर * कस दिए चुना है रिया फेक नस उपुवदटओं पाइप पी दिशशापपए गो सम हवन रही उदयाशर शा भोययुर्वेदीय « अदा पर दष्स गुण ज उुग बह को है, हे थे ज या करत दाएत एप एप 2, , ते ही उछ८तरयकाप्रिहम घिव उ. ५४. बट, जा हे इ्पलुस्ित एप्स एमए विज्ञान पर दा तप दि कै मार डे सह; कलर प्र ब्क |) डे | है *चकु्मधारेमाय' उसपर “8. डर प्रिय आयु दिवि च प्र गिर पाप अशिंए रास्सोर क के छिफोधज सा हद. क्या रन, ध्याधा पी हू चर रिंग 1 धप्टरापएा पा एच सिव्बी रद, सफठ व प्रम फेल युक्त ग पीकिरस्ता है न्पा, धछ सफर, बयां है | १ |] सर पा लग कि ग् ग फादर्म कक (5 हफ दे द. ला, है घी हम एज ले दर हु झा. श्याक् हएपारीर म्पसप अफादमी ' पर दरार लग एप: सतत झ् ्‌ ः सिद्नसाप नए रिशीर ० सपा अपरेएिवस पिंक काल दवाएं नर रा फिट प्र है) बाप / रह... उत्तर प्रदेश कक ः न दा रे दर पिईक्ाण न हद ्ु है कण सक् घरफार ने डेप बैछि$ 5 ठप एड है. है 0 कर जिघार * सास. थिवकि प ननन न न द जि पुर सभी तस तीन मे फछणगो जागो, सगे डर पवणे वध ए सिंए 8 होंगि06९८ दर दे पयप्िडिरप हर साय दे सन, हि पा व्यू त छा ला इक चप्ह फरलिपोईनि खतपुगिटासए0/- बा 21 फ पा व ही रुपया को कजाशानसाी छवि उ जगतिएव औ फिला कई11 के ता, न्स्श्सप न्फ ० पु प्शो 5५ फा सका न पं पं सम्डधव दा भय तरें १९६४ मे. पुरस्कार की ड की प्प्म जाय व ..... रू. 00५० हा], ता नहा, पर 'पहएर1(80५ 0 गो पुन हटर१६ खडे! प््म 8 पा 3 वीक रे स्केक वड कि कै ४, रस के आग ्न्द एसी शास्त्रीय प्रदान किया हि हर फैिए बैछछछाएं 0 छा देव ए०9102 0 पद्ाना थे गुट है; पे हू ७ ही ८ रे ह. साया कर हू दर कट पर 1 उप कलििलसा+ पर लि हे एक हां ः फाठए, कह रितिक वे 8, दा प0द सगद0 ! ट्े मी है है धचयम या सा जो अकादमी कर ही सवीफ की नं है कर जपनोपेंगो करें के हि कप / ही 2 ४ «4 £4 नघ्ा लय शत हो 7 पा सि पक रा सिवाय हुए पार्योरित के. माय हार. इस सियाए दंग ये ३, रे नई पाएक हा हुए 7 कम्रसनयकर्टेय हष्सिफिर ससफ बसपा प्ाशास्थ पिया ६ में) सर्द रे. रद “रि गफजन गाया था | इसी उदडेदय ये केरियथा ' ”' उप. पर्चा 2 वासजध क़ाणताईग। त्धफेसा रे एसराए ११ प्रयान किया ए.*, रप । हे का थे द् गे कप के के 0 पर. पेिपिहिक स्थापना चुत थ 1 यत 1 ये मोड है| न्न्र “दल दम स् | न द्रत श कर विश मी हि मै दस िविस गावस्थाधि गया ॥ ६ ५ 1 । सा मरा! जात्त पीडितर फास शॉप खा हा सर * १ प्सििवि,पह,पर एनटारट चार क्या माता, ।+ हु हु, तु तद्पुर हे ३१ पद स्वर्ण गए वि. व “यम, िकन जा ,रमकादमी के अध्यक्ष एवं 'उ,त्तर प्रदेश सरकार के जा रष्सों मार हर हा जाप है 1५, दर क 1 पडिप् न र- (नस गरसों पटूघार्स के सरियर्क है जाप ...... आयुर्वेद निदेशक _ का प्र) ता सका फुम' ८कुरूय पूजा रु मिमी हि बुरघिक डक का कगोगा रु हे + है उपरोपत 1 पाएनाम ण्शिय । यारयता ' दा प्रधाा डक दर कि हर , मा कल ध्णीम प्रथम रघान य्ाप्त लिया सा 1 रि. हि. ५४. '. / है र व. डे कल दी आज द्ल्मोक राजकाम साठमिन छिडल आग! रे कट, हो पर रे का दे एपए हे । हि पसिन्यका यॉग्यगा प्रमाणप्न प्रदान, गया | जापम कर भ्ट मे व अप कट सच भा किस केरया। है पुर । रकस्य न एरा सके अरम व इहि चल दे बह दूं दम सका केश न 1 डी दा तय 1 न्ज़ सतत, दड्म्स से):ननक ६ | गा. करत अध्यापक एवं चिकित्सर्क, गा + एपिफू ७ दर (7 5? .पुश्री( ब्याह सायुर्वेदिक एव, 'यूनानी ;/तिथ्यिया कालेज नई दिल्‍ली में पिछले लगभेरें दी दंसेक से अध्यपिनि क्रय ;मेप रत हैं।1/अश्यामन के अतिरिक्त जिंकिर्सक के रूप मे भी प्कार्य करते रहे हैं।। जॉप-कौलेज 'चिंफिव्सालय मे विभागाव्साकष पट््चकर्मे विभाग * पद रे कार्य : करते रहे हैं ॥.) पब्चक्म चिकित्सा के अंतुसंधानॉत्सक कार्य का स्िन्नरण ,रेलि.प डिसरंवर' में: घस्वन्तरि पंसूचकंमं कल्पनाक मेप्रकार्शित ; कराया था ये 'पवॉस्तिच मे! मेपपब्चकमे शिनांग को +ीाहरमम- करने को श्रेय आपको (ही डैं 13 कालेज ग्पताल प'कालेज 1छोत्िवास के ?:अधीशक * रूप में १६६४ से; ६७ तक काये करते रहे '१९७४/से १९७६ार्सक दी ब्येसि! जी को सिंध्कियारी कलेअ दिईली के त्कॉर्यक़ाहुकूप्राएवार्य;- एव, - सिकियालीकक :पद परासस्था की सेवा “करने कालेंज ज़िकित्सातयाम निकित्सीपाधीक्षक रूप में सेवारत रहे । को -गदसर प्रापतश्डुभरियौर १९७९ में जाप द




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now