यन्त्र चिन्तामणि | Yantra Chintamani
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.38 MB
कुल पष्ठ :
82
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)० यंत्रचितामणि ।
के २७ अशपर होगा इसकारण मथुराक २७ । ३० यह कुज से
अत्त/श हुए श्रौर इतर झवशिष्ट गगनसे अश ६२ । ३० यही लवांश
हुए अअत्तांश के स्थान पर आडी रेस्वा ४ से कुछ पूर्व की लगती हे
तस्तु ३२३ | यही अनक्तांशकी उत्क्रमज्या (१) हुई पव उसी अश
ग्रमित अक्षांश से कुछ आगे १४ वी ज्या खड़ीका संयोग होता है
इसकारण १३ | ० यही शक्तांशकी क्रमज्या हुई एव लंबांश कर
9० पर (१) स्व डी रेखा का योग २६ ! ३७ यही लव ज्या हुई पव लबों-
त्क्रमज्या १६ | १० डुद्दे । अझतस्तु । उस पलभा प्रमित अझषप्टादशी
जीया के स्थान पट्टी ( ५ ) लाय ता श्रप्राद्शी का योग पट्टी के
अन्तर्गत १३॥ अंगुल के लगभग होताहे अत एव यही पल करा हुए
इसमें विशेषता यह भी है कि जसे पलभा मालूम है तो पलकर्ण
मालूम होजाय एव श्रक्तांश मालूम होने से पलभा अथवा अमुक्र
संख्या प्रमित पलभापर कितना अक्षांश होगा आदे जैसे ४ अगुल
अक्षभा कितने अक्तांश पर होगी अत एव ४ अंगुल पलभापर पट्टी
लेजाने से १८ । २० अक्तांशहुए । एवं '५१।! शक्षांशपर क्या पलभा
हागी विलोमविधि से उत्तर १४ ० ६ व्यंगुल । पव १४ शरगुल पल
कर्णपर कितना श्क्तांश अंर पलभापर होगी -पूर्वो्त प्रकार से व्यस्त
फ्रिया से उत्तर असांश ३४ | २ पलभा ६ 1 ८ इत्यादि इन चारो
राशियों में से कोइ पक राशि मालमहों तो व्यस्त क्रिया से अब-
शिष्ट तीनों राशि स्पष्ट होगी ॥।
कर्णोक्तिप्रकारः । ग्रहलाघवे--
*'तथाक्षछाये माया, छतिद शम लवो नाय माशा पलाशा:,,
जैसे काशीकी पलभा '६ | ४५ है इसे किया तो हुए २८!
(१ ) अक्तांशकी क्रमज्याक्ों ३० में घटाने से लम्बोत्क्रमज्या
पच अक्तोत्कमज्या को ३० में घटाने से लम्ब ज्या होती है--
(२) यह ध्यान रहे कि पट्टी का निजाभिमुख दहिना मा गे सबेदा
व्यवहार में लाना चाहिये झथवा पड़ी के जिस पाइवं से जो काम
लिप जाय तज्जन्य समस्तकाय उसी पाइवे से लेना चाहिये--ु
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