छत्र साल | Chhtrasaal

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Chhtrasaal by बाबू रामचन्द्र वर्मा - Babu Ramchandra Verma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१ देवीका प्रसाद । दरवारमें खिदमतगारीके सिवा राज्यका और कोई भारी उत्तरदायित्वका काम नहीं कर सकते । इस लिए आजकल पहलेकी तरह शादी महके लिए राज कन्याओं और खिदमतगारीके छिए राजकुमारसेको धर पकड़ कर लानेकी आव- इयकता नहीं रद्द गईं । इन लोगोंको छोड दो और निध्वयय रक्‍्खो कि ये आप ही शाही मदद और दरवार तक पहुँच जायेंगे । रानी हीरादेवी वीचमें ही वोल उठी-- हॉ हा उन लोगोका कहना बहुत ठीक है । क्या कहें आजकल हस लोगोंकी वादशाइ तक पहुँच नहीं है नहीं तो युवराज विमलडेव अब तक कभीके वादशाइकी सेवामें नियुक्त हो गये होते । चम्पत०-- हे ईश्वर कहाँ हो ? ऐसे देशद्रोहियों और दासत्व-प्रिय छोगोंसे कब देशका छुटकारा होगा हीरादेवी वोलनेसे पहले कुछ तो सोच समझ छिया करो । जिस रद्रप्रतापने इतना रक्त वद्दाकर अपने देशको स्वतत्र किया था उसी अपने भक्त सुदप्रतापके एक वदाजकों म्लेच्छोंके दरवारमें सेवा करनेके छिए तैयार देखकर ढेवीके पत्थरके नेन्नोंसे भी आँसू निकठने छगे हैं । चम्पतरायकी वात अनसुनी करके हीरादेवी बोछी-- हाँ बिजया तव फिर क्या हुआ ४ विज०-- उस प्रधान असुरने हम लोगोंको वहाँसे चले जानेकी आज्ञा दी । हम लोग भी देवीकी पूजाके समय पर पहुँचनेके लिए वहेंसि चल पढ़े । इतनेमें हम छोगोंको भाषामें उस प्रधान असुरने दम लोगोंसे पूछा कि क्या थहाँ पास ही डेवीका कोई मदिर है उस समय मैं उसके पूछनेका अभि- श्राय न समझ सकी इस लिए मैंने सरठतासे कह दिया कि पास ही चिंध्य- वासिनी टेवीका सुदर मदिर है आाज वहाँका धार्षिक रंगार और उत्सव है इस छिए वुदेलखडके सभी राजे और वहुतसे वुदेठे वहीं एकत्र हैं । इसपर उसने पूछा कि उत्सव कब आारभ होगा तो भी उसके पूछनेका अमिश्राय मेरी सम- झमें न आया । मेंने सीघी तरइसे उसे बतला दिया कि सूर्योदयके दस घडी वाद पूजा आरभ होगी । उसने कहा कि अभी पूजामे दो घडीकी देर है इस लिए मैं पूजासे पहले ही वद्दों पहुँच कर मंदिर तोड फोड डालता हूँ । उस समय मैं धकसे हो गई । विमलदेव मी चहुत्त घुस्त होकर मेरे पास खडे थे । मेरा मन आप-ही-आप इस ्चारसे बहुत ही कचोटने कि देवीके मदिरका हाल बतलाकर मैंने बडा भारी पातक किया । यद्यपि विंध्यवासिनीका मदिर चहाँसे




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