नित्य पूजा | Nitya Pooja
श्रेणी : धार्मिक / Religious, हिंदू - Hinduism
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.47 MB
कुल पष्ठ :
158
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)११]
2४ हीं विद्यमानविशतिती थेडुरेश्य कामबाणुविनाशनाय पुष्प लि०
कास नाग विषधाम, नाश को गरुड़ कहे हो ।
ज्ुधा महादवज्वाल, तास को मेघ लहे हो ॥
नेवज बहुदत मिप्॒सों (हो), पूजों . भूखबविडार । सीमधघर। ४1
55 हीं विद्यमानविशतितीर्थक्रेम्य नुधारोगविनाशनाय नें वेदय॑ ०
उद्यम होन न देत, सब जगमाहिं भरथो है ।
मोह मद्दातम घोर, नाश परकाश करयो है ॥
पू्जों दीप प्रकाशर्सों, (हो) ज्ञानज्योति करतार ।सीमंघर। ६।
हीं विद्यमानपिशतिती्थक््रेश्य सोहांधकारविनाशनाय 'दी पं० ।
कम आठ सच काठ-भार विस्तार निहारा ।
ध्यान अगनि कर प्रकट, सब कीनों निरवारा ॥।
धूप झनूपम खेपतें (हो), दुःखजलें निरधार ॥सीमंघर।७।
5४ हीं विद्यमानर्विशतिती थेक्करे म्योध्ट्रकम विध्व सनाय घूप॑ ० ।
मिथ्यावादी दुष्ट, लोभड्हंकार भरे हैं ।
सबको छिनमें जीत, जैन के मेरु खरे हे ॥
फल झति उत्तमसों जजों (हो),वांछिंत फल दातार ।सीमंघर। ८।
5 हीं विद्यमानरविंशतिती थेक्रेम्य सोक्षफलपाप्ये फल लिवे ० ।
जल फल झाठों द्रव्य, अर्घकर प्रीति धरी है
गणधघर इन्द्रनिहू हैं, थुति पूरी न करी है ॥
'यानत' सेवक जानके (हो), जगतें लेहू निकार ।सी मंघर।६।
व हों विद्यसानविंशतिती थेड्टरेनयो5नघ्यं पद प्राप्तचे ये लि० ।
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