पृथ्वीराज रासो तथा अन्य निबंध | Prithviraj Raso Tatha Anya Nibandh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१२ पृथ्वीराज रासो हमारे साहित्य-भंडार का एक अनुपम गौर अनमौछ जगमगाता रत्न है। इसमें सुल कथा के साथ अनेक उपकथाओं रसों छंदों और अलंकारादि काव्यांगों का सफलतापुरवक समावेश हुआ है । अवश्य ही रासो में अनेक क्षेपक हैं किन्तु उनका भी काव्य की हृष्टि से महत्व है । क्षेपक के आक्षेप से हमारे वाल्मिकीय रामायण महाभारत और रामचरित मानस आदि भी वंचित नहीं हैं तो फिर क्षेपकों के कारण पृथ्वीराज रासो को साहित्यिक दृष्टि से महत्वहीन नहीं कहा जा सकता । पृथ्वीराज रासो की प्राप्त समस्त प्रतियों के आाधार पर इस महाकाव्य के पूर्ण पाठ को वैज्ञानिक वहत्तम संस्करण के रूप में सम्पादित करते हुए इसका अध्ययन भौर मुल्याड्ुन करना सवंधा उचित होगा ।




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