सुमित्रानंदन पंत रचना संचयन | Sumitranandan Pant Rachana Sanchayan

Book Image : सुमित्रानंदन पंत रचना संचयन  - Sumitranandan Pant Rachana Sanchayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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14 सुमित्रानंदन पंत रचना संचयन स्वभाव से अंतर्मुखी पंत जी की युग-पथ -पूर्व रचनाओं-- वीणा ग्रंथि उच्छवास पल्‍्लव और गुंजन में अर्थात्‌ छायावाद को प्रथम तरंग को रचनाओं में रोमांटिसिज्म के प्रमुख अंगीभूत भाव-तत्त्वों--विश्व-वेदना ७/८॥&टाशाटा८ गहन मानसिक अवसाद अंतर्जगत्‌ प्रधाधा ३४८ सृष्टि में व्याप्त रुदन के आँसू 1.8071018€ हृदयानुभूति और आन्तरिकं भावोच्छवास को मसृण अभिव्यक्ति मिलती है । शायद इन्हीं मसृण अभिव्यक्तियों के द्वारा पंत जी खड़ी बोली को प्रथम कोटि की काव्य-भाषा बना सके और स्वयं को खड़ी बोली कविता की कोमल- कांत पदावली के कल्पनाशील प्रकल्पक के रूँप में स्थाषित कर सके । यों पंत जी की उत्तर -काल और उसकी उत्तरवर्त्ती युगान्त-विषयक ८६८॥91010091 रचनाओं में भी उक्त भाव-तरंगों के शीकर-कण मिल ही जाते हैं । यह स्मरणीय है कि पंत जी ने भारत को अंतर्जगत्‌ का सिद्ध वैज्ञानिक कहा है । इस उक्ति से इनकी दृष्टि में उस अंतर्जगत्‌ का महत्त्व व्यक्त होता है जो छायावादी कविता की सर्वोत्तम संचरण-भूमि थी । पंत-काव्य के प्रथम चरण को यानी छायावादी कवि पंत के काव्य को समझने के लिए संक्षेप में रोमांटिसिज्म पर विचार कर लेना उपयोगी होगा । जिस तरह रोमांटिसिज्म यूरोप के प्रमुख देशों--इंग्लैंड फ्रांस और जर्मनी में सदृश वैचारिक पृष्ठभूमि में आया तथा इन देशों की रोमांटिक काव्य-धारा में लगभग समान प्रमुख प्रवृत्तियाँ रहीं उसी तरह भारत को मुख्य आधुनिक भारतीय भाषाओं के काव्य में भी मिलती -जुलती वैचारिक पृष्ठभूमि एवं प्रवृत्तियों के साथ रोमांटिसिज़्म कहीं छायावाद और कहीं भाववाद बनकर अवतरित हुआ। गेटे गोयेठे कहा करते थे कि रोमांटिसिज्म रोग है जबकि क्लासिसिज्म स्वास्थ्य है + किन्तु यह ध्यातव्य है कि अपनी तरुणाई में गेटे स्वयं ही शिलर के साथ अठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में चल रहे उस जर्मन साहित्यांदोलन में शामिल थे जो 10ाए। पाएं के नाम से ख्यात था। यह साहित्यांदोलन रूसो के विचार-दर्शन से प्रेरित था और इसका नामकरण फ़िड्रिक फॉन क्लिंगेर द्वारा इसी नाम से रचित एक नाटक पर आधारित था। 51णाणा 0 नामक इस साहित्यांदोलन को जर्मन रोमांटिसिज्म का आरंभिक रूप माना जाता है । सामान्यत जब अहस्तक्षेप युग- कल्प बन जाता हैं तत्र व्यक्तिवाद का उदय होता है और रोमांटिक काव्य -प्रवृत्तियाँ मुखर हो जाती हैं । यह दूसरी बात है कि यूरोप में रोमांटिसिज्म का उदय सन्‌ 1789 1... छायावादी कवि रोम़ांटिसिज्म को प्रवृत्ति के अनुरूप अंतर्जगत को भौतिक जीव- जगत से अधिक महत्त्व देते थे। कवि का यह अंतर्जगत बाहय जगत के सन्निकर्ष से उत्पन्न कवि की व्यक्तिगत अनुभूतियों से निर्मित होता है । इसलिए यह अंतर्जगत कवि का अपना होता है जिसे हम शब्द-भेद से प्रतिस्विक कह सकते हैं । 2... 5 15 1व5510151 15 ॥८811. 3... घााएं 11655. 4... पा पाए 1752-1831 . 5. 1.घ155८2-िटा




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