स्वच्छंदतावादी काव्य वाद विवाद संवाद | Swachhandtavadi Kavya Vad Vivad Sanvad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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से हिन्दी स्वच्छन्दतावादी काव्य का विवेचन पश्चिमी रोमांटिसिज्म के समक्ष रखकर किया गया है, जिससे हिन्दी स्वच्छन्दतावाद पर पड़े बाह्य प्रभाव और प्रेरणा की प्रकृति को समझा जा सके | यूरोप में रोमाण्टिसिज्म पुनर्जागरण के साथ आया। पुनर्जागरण ने सारे यूरोप के जीवन को परिवर्तित कर दिया था। इसने जीवन के सारे पक्षों को प्रभावित किया। एक सांस्कृतिक आन्दोलन के रूप में पुनर्जागरण ने साहित्य कला और दर्शन सभी को प्रभावित किया। वैज्ञानिक अनुसंधानों से धार्मिक कट्टरता तथा पुरानी मान्यताओं को धक्का लगा। पुनर्जागरण के झोंके से सामन्तवाद समाप्त हो गया। पुनर्जागरण यूरोप में मानवतावाद की स्थापना करने में समर्थ हुआ। यही मानवतावाद रोमाण्टिसिज्म लाने का कारण बना। अठारहवीं शताब्दी में यूरोप में हुई तीन महत्वपूर्ण क्रान्तियों ने यूरोप की प्राचीन संस्कृति को पूर्णतः बदल डाला। इसने जीवन मूल्यों में क्रान्तिकारी परिवर्तन किये, जीवन दृष्टि में युगान्तर स्थापित किया। इन सबका प्रभाव साहित्य पर भी पड़ा | अठारहवीं शताब्दी के अंतिम चरण और उन्नीसवीं शताब्दी के प्रथम चरण में साहित्य और कला के क्षेत्र में यूरोप व्यापी रोमांटिक आन्दोलन प्रारंम हुआ। इस आन्दोलन ने पश्चिमी यूरोप के देशों को विशेष रूप से प्रभावित किया। किन्तु सारे यूरोप में रोमांटिसिज्म आन्दोलन एक जैसा नहीं था। जर्मन रोमांटिक धारा का मुख्य उद्देश्य तर्क, बुद्धिवाद एवं विज्ञानवाद के अतिरेक को नियंत्रित कर धर्म एवं आध्यात्मिक दृष्टि की प्रतिष्ठापना रहा है। उसकी महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि उसने बौद्धिकता और तार्किकता का विरोध कर अनुभूति और अन्तर्दृष्टि पर बल दिया। उसने यूरोप के रोमांटिक काव्य को समुचित दार्शनिक पीठिका प्रदान की। फ्रांस में रोमांटिक आन्दोलन ने काव्य, नाटक, उपन्यास, समीक्षा आदि साहित्यिक विधाओं के अतिरिक्त इतिहास, धर्म, राजनीति, दर्शन आदि के सम्बन्ध में विचार रखने वाले विचारकों और लेखकों को भी प्रभावित किया। देश के राजनीतिक विप्लव के कारण फ्रांस में रोमांटिक आन्दोलन इंग्लैण्ड की तुलना में कुछ देर से सक्रिय हुआ। पर यह ध्यान देने योग्य है कि फ्रांस में ही रोमांटिसिज्म के विचार का उद्भव हुआ। फ्रांस चिन्तन के क्षेत्र में अग्रणी रहा है। फ्रांस के रोमांटिक आदोलन में प्रेरणा, प्रातिभज्ञान, कल्पना, सौन्दर्यानुभूति आदि की प्रधानता है। इत्हं




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