मनोरंजन पुस्तकमाला - भाग 2 - आत्मोद्वार | Manoranjan Pustakmala Part-ii Atmodwar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(रू ) जाने पर श्रोवरसियर लोग उन्हे किस निर्देयता से चाबुक लगाकर उनसे पुनः काम कराते थे, यदि यह झोवरसियर भी हवशी ही होता ते वद्च भी “जात का बैरी जात” के न्यायाघुसार दूसरे दबशी को कितना अधिक दुःख देता था, रात को भर पेट भोजन न देकर गुलाम लोग किपत प्रकार एक छोटी कोठरी मे टूंस दिए जाते थे, धन के लालच से पति- पत्नो, भाई-चहन श्रार माता-पुत्र को झलग श्रलग मालिकों के हाथ बेचकर उनकी कैसी दुद्शा की जाती थी, युवती दासियें का '्नेक प्रकार से सतीत्व नष्ट करके उनका जीवन किस प्रकार नष्ट किया जाता था, अ्रसद्य कष्ट से डरकर भागे हुए युलासें। के पीछे इनाम के लालच से किस प्रकार शिकारी कुत्ते श्रौर दुप्ट लोग छोड़े जाते थे, हाथों श्रौर पैरो मे हृथ- कड़ियाँ श्नौर बेडियाँ डालकर उन्हे बाजार मे बेचने के लिये ले जाने के समय किस निदयता से मारा जाता था श्रौर पादरी लोग इस प्रकार के अ्न्यायोां का बाइबिल के श्राघार पर किस तरह समर्थन करते थे, इयादि इयादि, अनेक हृदयविदारक बार रोमांचकारी दृश्यों का पूरा पूरा वणन बडी छी उत्तमता से इस पुस्तक में किया गया है । इस पुस्तक ने झमेरिकन लोएों में खूब उत्तेजना फैला दी श्रौर दासत्व-प्रथा के विरुद्ध बहुत कुछ ले कमत तैयार कर लिया ।. जिन लोगों को दासत्व-प्रथा के श्रन्यायों श्रौर उसके वास्तविक स्वरूप का पूरा ज्ञान प्राप्त करना हो, वे लोग यद्द पुस्तक अवश्य पढ़े ।




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