आदर्श हिन्दू भाग - २ | Adarsh Hindu Part 2
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
246
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(रू)
गार श्राप में नाहाशुभोजन करा दीजिए ।. परंतु इतना याद
रखिए, विलायती चोनी का कोई पदार्थ न हो । बिलायती
खाँड़ खाना ता क्या बह स्पशी करने याग्य भी नहीं है। बह,
राम राम ! थूथु !! बहुत ही घृणित वस्तु से साफ की जाती है ।””
“छुपे यजमान ! ऐसा ही सागा । जो देशी चीनी की
मिठाई मरासे की दुकान पर ने मिली ते कथच्नी बनवाकर
खिलाई जायगी ।. गुड़ की चोजें ???
“बेशक ठीक हैं, परंतु श्राह्मण पात्र तलाश करना ।. पढ़ें
लिखे विद्वान ! शरीर विट्वार न मिलें तो संस्कृत के विद्यार्थी ।
क्यों खमस गए सा ? अब पाप पुण्य तुम्हार सिर है ।””
“हां हाँ ! सेरे सिर ।”. कहकर इघर शुरूलजी छलांग
भरते अपने तख्त पर झा डरे श्रौर मत्लाहें। ने उधर डॉड
खेकर इनकी नाव चलाई । इस तरह जब ये लोग सब ही
कामों से सिश्चिंत दो गए तब इन्हें पेटपूजा वी सूक्त पढ़ी |
नाव में रखे हुए खाने के पदाथ सँभाले ते उनमें विलायती
चीनी का संदेह । बस आज्ञा दी गई कि तुरंत यमुनाजी
में डाल दिए जायें । बस भिठाई मिठाई सब डाल देसे बाद
इन्हेंने केवल कंलो, सेब, अमरूद, नारंगी पर गशुजारा किया
और माला, भगवान, चमेली, गोपीबल्लभ ने खूब डटकर
पूरी तरकारी उड़ाई ।. किंतु खाते खाते ही जब इनकी निगाइ
किनारे पर कोई झाधी मील की लंबाई में सूखती हुई मछलियाँ
पकड़से की जात पर पड़ी तो इनका मन, सब खाया पीथा
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