महाभारतदर्प्पणे | Mahabharatdarppane Part- 2

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Mahabharatdarppane  Part- 2 by मुंशी नवलकिशोर - Munshi Nawalkishor

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जि प पिर् ठफेंमुपर्घमबीलियेन। कार्मेदारिगकुरुनांथिकें/सुमितघलनमूष लिंरोटकिय स्पीकारे प्रीरतिफिरिनुपघरमपासविसेट बोलिेनेपकसी तमइहीं आये का हु सो मैं लिंएिन ॥गॉर्चेडि ष्टि यह अंपेनो संग शी था . या & कें संखेहि ः सुमामर्मतीसुफूल में मयेति बेयांध्रपर सेंधामिीसीकिं लौयों भसघुरन्घर दें । बित्लं ं येप्ण विशेष करिय हि वीं / बिरिठ जाओ क हुसतण्रं | यूतंप्रिय हमबदय तवतुम करहु शीक्षित ल्षिप्न ॥ देर्गिक्कषण नकें सँगीहोंये कबहैं प्रा बार मभपष कोसकरालिं अंग दी नही च र् 1




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