रूप अरूप | Roop Aroop

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Roop Aroop by श्री राम शर्मा - Shri Ram Sharma

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

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जन्म:-

20 सितंबर 1911, आँवल खेड़ा , आगरा, संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत (वर्तमान उत्तर प्रदेश, भारत)

मृत्यु :-

2 जून 1990 (आयु 78 वर्ष) , हरिद्वार, भारत

अन्य नाम :-

श्री राम मत, गुरुदेव, वेदमूर्ति, आचार्य, युग ऋषि, तपोनिष्ठ, गुरुजी

आचार्य श्रीराम शर्मा जी को अखिल विश्व गायत्री परिवार (AWGP) के संस्थापक और संरक्षक के रूप में जाना जाता है |

गृहनगर :- आंवल खेड़ा , आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत

पत्नी :- भगवती देवी शर्मा

श्रीराम शर्मा (20 सितंबर 1911– 2 जून 1990) एक समाज सुधारक, एक दार्शनिक, और "ऑल वर्ल्ड गायत्री परिवार" के संस्थापक थे, जिसका मुख्यालय शांतिकुंज, हरिद्वार, भारत में है। उन्हें गायत्री प

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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४१४: बाबू जगजीवन राम विषाद भाव से हँसे “मैया, औरत सभी कुछ कर सकती है । यह इस धरती का मायावी प्राणी है ।' वह बोले-- “कोई श्रादमी सरलता से शभ्रपनी पत्नी को दुराचारिणी नहीं बताता । लेकिन जब अदालत में ऐसा बयान देता है, तो समझ लो, सधप्य ही है।' स्पष्ट था कि लता को अपने पिता की यह बात भी पसन्द नहीं भाई । लेकिन उसने श्रतुल की भ्रोर देख कर कहा-- 'भाप आइये, मैं गाड़ी में बेठी हूँ ।' फलस्वरूप, जब वह गाड़ी की तरफ चढछी, तो तभी, अतुल ने बाबू जगजीवन राम से कहा--'समस्या जटिल है । संयोग की बात है कि मैं श्रौरत का वकील हूं । अपने कत्त॑व्य की बात सोचता हूँ ।' बाबू जगजीवन राम बोले--'नहीं, नहीं, बिलकुल सरल है यह समस्या । औरत से कहो कि वह समभौता करले । अन्यथा वह व्यक्ति मजिस्ट्रेट को दरख्वास्त दे सकता है । यदि वह चाहे तो ऐसे फोटो भी अदालत में पेश कर सकता है कि जिन में वह श्रौरत अन्य व्यक्ति के साथ बंठी हो, बात करने में तन्मय हो ।' वह बोले--अब आप जाइये । लता प्रतीक्षा में होगी । बड़ी गुस्सेल है लड़की, देर होने पर गाड़ी से उतर श्रायेगी ।' प्रतुल उस ओर बढ़ गया । वह गाड़ी में जा बेठा । रास्ते में ही, उसने लता से कहा--लगता है, तुम्हें नारी का निबंल पक्ष स्वीकार करने योग्य नहीं लगता । परन्तु मैंने इस मुकदमे को केवल इसीलिए अपने हाथ में लिया है कि समभू, नारी कहाँ निबंल है, कहाँ बलवान है । अन्तत: यह स्पष्ट है, पुरुष के समान नारी का मन:लोक भी स्वस्थ और सफल नहीं दिखायी देता । यदि पुरुष बबंर है तो नारी का पक्ष भी सरल नहीं लगता ।'




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