उर्दू के बेहतरीन संस्मरण | Urdu Ke Behtareen Sansmaran

Urdu Ke Behtareen Sansmaran by उपेन्द्रनाथ अश्क - Upendranath Ashk

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१८ ++# उदूँ के बेहतरीन संस्मरण “चिमकी” एक दहकता हुआ शोला है । विश्वास नहीं होता कि इस कदर सूखा-मारा इन्सान, जिसने अपनी बीवी के झ्लावा किसी तरफ़ श्ऑॉख उठा कर न देखा, कब्पना में कितना ऐयाश बन जाता है । द्ोफ़्फ़ोद ! वह चमकी की ख़ामोश निगाहों के पैग्राम, वह हीरो का उसकी हरकतों से मंत्र- मुग्ध हो जाना । श्रौर फिर लिखने वाले की ज़िन्दगी--किस क़दर मुकम्मल झूठ ! यह भा. नहीं; उनका हमज़ाद होता था; जो उनके जिस्म से दूर हो कर हुस्नगे-इश्क़ की ऐयाशियाँ कराता था । शज़ीम माई यों भी मौजूदा श्रदब में यानी एकदम आधुनिक साहित्य में लोकप्रिय न थे कि वो खुली बातें न लिखते थे । वो श्रौरत का हुस्न देखते थे, पर उसका शरीर बहुत कम देखते थे । शरीर की बनावट की दास्तानें पुरानी मसनवियों ( पद्य कथाओं ) गुल बकावली, ज़हदरे-इश्क़ वग़रेरह में बहुत साफ़ थीं श्र फिर उन्हें पुरानी कह दिया गया था । लेकिन शब फिर यह 'फ़ेशन निकला है कि वहीं पुराना सीने का उतार-चढ़ाव, पिंडलियों की गावदुमी, रानों का भरापन नया श्रदब बन गया है। वो इसे अश्लीलता समभते थे श्रौर अश्लीलता से डरते थे । यद्यपि भावनाओं का नगापन उनके यहाँ झाम है, श्रौर बहुत गन्दी बातें भी लिखने में नहीं शिमकते थे | वो औरत की भावनाएं तो नग्न देखते थे पर ख़ुद उसे कपड़े पहना देते थे । वो ज्यादा बेतकल्छुफ़ी से मुझसे बातें नहीं करते थे श्र बहुत बच्चा समभकते थे । कभी किसी योन-समस्या पर तो वो किसी से बहस करते ही न थे । एक दोस्त से सिफ़ इतना कहा-“नये अदीब बड़े जोशीले हैं, लेकिन भूखे हैं. . और ऊपर से उन पर जिन्‍्सी असर ( यौन प्रभाव ) बहुत है । जो कुछ 'लिखते हैं, “्रम्माँ खाना 1” मालूम होता है ।”” वो यह भी कहा करते कि हिन्दुस्तानी अदब में जिन्स बहुत नुमायाँ रहती है । यहाँ के लोगों पर यौन भावनाएं सदा से हावी रही हैं। हमारे काव्य, चित्रकला, पुरानी पूजा--सभी से. यौन भावना का पता चलता है । श्रगर ज़रा देर इश्क- - सुहब्बत को भूल. जायें तो लोकप्रिय नहीं रह सकते । यही कारण है कि बहुत जल्द झ्रदब में उनका रंग ग़ायब हो कर वही “अलिफ़ लैला” का रंग छा गया ।




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