रुक्मणि विवाह | Rukmani Vivah

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Rukmani Vivah by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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्च्ण + कथधारम्भ संभावना है । इसलिये यद्दी अच्छा है; कि राजकुमारी का विवाह, राजकुमार और * महारानी की इच्छालुसार , दी होने. दिया जावे ) व थ राजा भीम ने भी विचारा; कि उद्दण्ड रुक्म के सम्मुख, वैसे भी मेरी इच्छाघुसार कार्य दोना कठिन था, शरीर अब तो उसे छापनी साता का भी बल प्राप्त है । यदि मैंने इसकी बात का खंडन, व्और अपनी बात पुष्ट करने की चे्टा की, तो मंत्री के कथनानुसार झवश्य दी विरोध बढ़ जावेगा, 'और ऐसा होने पर अपनी दानि भी दोगी, तथा दूसरे लोग भी हूँसेंगे। इस प्रकार विचार कर,राजा भीम ने कहा अक्ति-यद्यपि मेरी इच्छा तो; कृष्ण के ही साथ रुक्मणी का विवाद करने की दै, मिथ्यामिमानी शिशुपील के साथ, मैं रुक्मिणी का विवाह करना कदापि उचित नहीं समकता, फिर भी मैं इनके कार्य -का विरोध न करूँगा, किन्तु इस विषय में तटस्थ रहूँगा। रुक्म अ्औौर उसकी माता को जैसा उचित जान पढ़े, करें, परन्तु मैं उनके कार्य से सदमत न दोडँँगा । दा इतना, अवश्य कहूँगा, कि प्रत्येक कार्ये के परिणाम को पहले विचार लेना श्रच्छा है, जिसमें फिर पश्थात्ताप न करना पढ़े । यह कह कर, 'अनिच्छापूवंक रुक्मिणी के विवाद का भार झक्म छोर उसकी साता पर छोड़ कर राजा भीम; उस सभा से उठ गये । दूसरे लोग भी, अपने शपने स्थान को गये । रुक्म




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