इष्टोपदेश टीका | Eshtopdesh Teeka

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Book Image : इष्टोपदेश टीका  - Eshtopdesh Teeka

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(१९) एक मकान इसलिये बनवाया हैं कि निप्त किसीको -विवाइ भादि व सर ढिसी कांयेके वास्ते मकानकी, आावश्यक्ता हो वह अपनों कांय 'ठप्तमें कर ठे-। लख़नऊमें भापके- बहुतले मकानात व दूकाने किराये पर चलती हैं भर आपका बहुत यश: ई.।..जनतकि बहुतसे मापसके झगड़े.आप ही तय कर दिया करते थे | भाप श्रीगिरनारः जी, शिखरजी भादि करीब २ सन तीर्थोकी यात्रा कर चुके थे । आपने अपने बड़े पुत्र लाला थरातीलालनीक्ा.. विवाह ' चखनऊमें ला० देगरीदापनी गोटेवालों ( सभापति, जैन सभा लखनऊ: )की सुपुत्नीके साथ बड़ी धूमघामसे किया था । आपने मरते समय दो पुत्र छोड़े थे निस्तमें १ का देहात हो गया । पके छोटे भ लाठा दुर्गाप्रतादजीफे है पुत्र व २ पुत्रियां हैं। आपके चचा काका विश्वेश्रुनाधनीकि भी ! पुत्र लाला निनेश्ादाप्तनी दें और २ पुत्रियां हैं। दृ्तरे चचा छाछा प्रभूदया लनी अपना चिकन व कपड़ेका रुनगार अछग करते हैं उनके भी १ पुत्र छा० सुपेरचदनी हैं। वि+ सं० १९७१ में माघ शुक्क इको आपका ५९० वर्षेकी भवस्थामें अचानक स्वगवाप्त हो गया, निससे आपके कुटूंवियोंको तथा लखनऊ निवापियोंकों अत्यंत दुख हुआ | भोपकी घमपत्नीने से ० १९७४ में 'अपने स्वर्गीय पतिकी रपृतिपं जन सावंजनिक पुस्तकांखप स्थापित कराया, नित्तकों जेन समान ठस़नऊ; अपने द्रव्यसे चला रही है। श्रीमाद्‌ बाबू अनजितप्रसादूनी वकीरू पुस्तकालय प्रबंधक कमेटीके सभापति व ढाढा बरात्रीहागी मेत्री हैं। '.... - संवत १९७५ में मिती कार्तिक वदी १९को आपके छोटे पुत्र ज्ञानचदका ३ ९ . वषकी . अवत्थामें और उप्तके २ दिन बाद




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