साहित्य का मूल्याङ्कन | Sahithya Ka Mulyankan
श्रेणी : साहित्य / Literature
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
158
श्रेणी :
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डब्लू ० बेसिल वर्सफोल्ड - W. Basil Worsfold
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रामचन्द्र तिवारी - Ramchandra Tiwari
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)८ सादित्यका मूल्याझ्न
अनुसूति जीवनकी अनुभूतिसे सर्वथा भिन्न नहीं है । जब काव्यके सैंन्दर्यक
भावन करनेके लिए. कोई लिदोष इन्द्रिय नहीं है और हम जिन दॉन्द्रियोंसे जीवन-
की अन्व अनुभूतियोकों 'प्रहण करते हैं उन्हींसे क्राव्य-सौन्दर्यकी भी भावना
करते हैं तो काव्यगत अनुभ्ूतिकों छोक-निरपेक्ष क्यों माना जाय ! सिचिडसका
महत्व इस वातमें हैं कि उन्होंने मनोवैज्ञानिक आधारपर काव्यानुभूतिकों मेका
नुभूतिके समकक्ष सिद्ध किया है ।
अस्तिस्ववाद (शिदडट पिंक तह को कला-सूजनका आधार बनाने वाछे
प्रसिद्ध फ्रेंच लेखक जाँ पाछ सात (680 पिकपा उघरातिठ, ह९०५-०) हैं।
मनुष्यके सामने आज अस्तित्वका प्रदन इसलिए उठ खड़ा हुआ है कि युगकी
याव्न्रिकता उसकी स्वतन्त्रताका हरण करती जा रही है । मदीनोंकी शेद्धिस
मचुष्यकी दारीरिक एवं मानसिक दाक्ति कुण्ठित होती जा रही है। आजकी
तथाकथित समताविधायक यान्त्रिकि सामाजिकता मनुष्यके जीवनकी सरसताक
समाप्त करती जा रही हैं । हम जी रहें हैं किन्तु जीवनकी सार्थकताकों समझे
बिना यन्त्रवत् कार्य करते हुए जी रहें हैं। इसलिए प्रत्येक स्वतन्त्रचेता कल्मा-
कारका धर्म है कि वह ऐसी कला-सष्टि करे जो विवेक-रहित-समता एवं यास्त्रि
कताफे विरुद्ध मनुप्यकी निजता, बौद्धिक स्वतन्त्रता एवं सांस्कृतिक शार्थकताकी
स्थापना करे ।
घर्तमान युगके प्रभावशाली कवि और समीक्षक श्री टी० एस ० इखियर
(प'.3ि,ि1106, १८८८-) महोदयने कलाकी उच्चताका आधार अनुभूतिका निर्व्य-
क्तीकरण (0.७]छाडणा को धरा) माना है । आपके अनुसार कंछाकारका
मोक्ती मन उसके खा सनसे भिन्न है। इसलिए कला-कुति एक तटस्थ सूष्टि
है । इख्यिट कछाकारकों परम्पराकें बीच रखकर देखना चाहते हैं । उन्होंने
अपने विचायें से समीक्षा-जगतूकों बहुत प्रभावित किया है । उन्होंने एक प्रकार-
से वलैसिकल चिन्तनकों पुनः प्रतिष्ठित किया है |
इस प्रकार इम देखते हैं कि बीसवीं झातीमें काव्य-समीक्षाका क्षेत्र व्यापक हो
गया है । उसमें बेविध्य, विस्तार और गहराई समीका समावेश लक्षित दोता है |
वह्द क्रमश: बौद्धिक और मनोवैज्ञानिक होती गई है । उसके संघटनमें चिन्तन के
अयेक स्तर और जीवनकी अनेक दृष्टियाँ कार्य करती हुई परिकक्षित होती हैं ।
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