सेठ धनंजी | Seth Dhannaji

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Seth Dhannaji by श्री साधुमार्गी जैन - Shree Sadhumargi Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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थ् कथयार्‌स्म '. लड़कों की वात के उत्तर में धनसार सेठ ने कद्दा कि शुम्दारा यह कथन स्वधा झूठ है, कि वाटिका में से जो घन निकला. वह मेरा दी गड़वाया हुआ था । घनकुँवर के जन्मों त्सव में अधिक व्यय करने के छिए मुझे ऐसा करने की आवद्यकता भी न थी, न सुके तुम लोगों को ओर से फिसी प्रकार की वाधा उपस्थित दोने 'का भय था। घर का सब द्रव्य मेरा दो कमाया हुआ है, इसलिए मैं किसी प्रकार का भय करता भी क्यों ? वास्तव में तुम लोग भसदनणोल दो, इसी कारण तुम से घनकुँवर की प्रश्सा नहीं मद्दो जाती और तुम छोग उसके छिए ऐसा कहते दो । तुम लोग जब मरे पर भी घन गाड़ने आदि का दोपारोपण करते दो, तब खनकुँबर में दुशुण बताओ इसमें क्या भाश्चय है ,... धनसार के तीनों पुत्र श्पने पिता की बातें सुनकर कुछ कुद्ध नस हो उठे । वे कहने कगे कि यदि श्रशोकवाटिका में श्यापने धन नहीं गड़वाया था, किन्तु घनना के सद्भाग्य से ही घन निकढा था श्रौर इसी कारण श्याप उसको सदुभागी कद्द कर उसकी अरशंसा' करते हैं तथा उसकी भ्पेक्षा में इतभागी मानते हैं, तो इम यह न्कहते हैं कि सद्भागी कौन है इसका निर्णय कर लिया जाते । : श्राप इस विपयक परीक्षा का उपाय निकालिये श्र उस-उपाय द्वारा सद्माग्य डुमोग्य की परीक्षा कर ढालिये । यदि परीक्षा में इम लोगों की श्रगेक्षा धनकुँवर सद्भागी सिद्ध ोगा तब तो इस




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