प्राचीन जैन स्मारक | Prachin Jain Smaraka Ac 918

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Prachin Jain Smaraka Ac 918 by ब्रह्मचारी शीतल प्रसाद - Brahmachari Shital Prasad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मंगलमय अरहतको, सिद्ध भजू सुखकार । सूरि साधू पाठक नमूं , हरूं कुबोध विकार ॥। भाई बेजनाथ सरावगी ( सेठ जोखीराम मूंगराज फर्म कलकत्ता और रांची ) की प्रेरणासे अन्य प्रान्तोंकि जैन स्मारकोंकि समान यह मदरास व मेसूर प्रांतका भी स्मारक तय्यार किया गया है । इसके संग्रहमें हमको नीचे लिखे द्वारोंसे बहुत सहायता मिठी है निनकों हम कोटिरा: धन्यवाद देने हैं । (१) इम्पीरियल लाइबेरी, कलकत्ता । (२) लाइब्रेरी, रायल एशियाटिक सोसायटी, बम्बई । (३) लाइबेरी म्यूजियम, मद्रास । (४) श्रीयुत जी ० वी० श्रीनिवाम राव असि० आरकी- लाजिकल सुप० एपिग्राफी सदने सर्किल, मद्रास । हमने इग्पीरियल गजटिंयर व हरएक जिलेके गलटियर व रिपोर्ट देखकर पुरातत्वका मसाका एकत्र किया है । एपिग्रेफिका कर्णाटिकाकी निल्दोंमें मैसूर राज्यके बहुत ही उपयोगी शिलालेख हैं जिनमें अधिकांश जेन हैं। इन सबको पढ़कर जितने जैन सम्बन्धी लेख थे उनका भाव इस पुस्तकममें संग्रह किया गया है. निनमें मात्र श्रवणबेलगोलाके ही ५०० जैन ढेख हैं ॥ जेसूर राज्बके मैन लेखोंका सबे संग्रह पढ़ने योग्य है । इससे पादध-




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