प्रेरणा - प्रवाह | Prerana - Pravah

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Prerana - Pravah by विनोबा - Vinoba

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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झ्दिसामूलक करुणा श्द्‌ खाना हा परे, यह लाचारां बी श्रवस्या मां नहा आनी चाहिए। समय थर खार्प लेकिन शरुधा को पीड़ा सहन नहाों कर सस्ते ऐसो हातत ने झाये । ऐसा हालत में श्रपने पर हो हमारा सत्ता नहीं रहठी ! जिन बामनाओ से मनुष्य भाजाटी सत्त्व श्रौर काबू खाता है. उन वासनास्‍ा वा भी वादू में रखने की बाधित हानी चाहिए । इसलिए पंजाहार वा शाइकर निराहार का विचार श्राया । सारारा वासनामा के निरावरण का मम यह होगा १ बुवासना का त्याग २ सद्दासना भी सबको उपलघ न हा दो उसका त्याग ३ सद्ासना हो लेकिन उस भाग में मात्रा श्रौर ४ ध्याकुनता को काबू में रखने के लिए सद्टासता का स्पाग । दौर पंजाब बायकर्ता शिविर में <€ ८ ६०




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