कालिदास | Kalidas

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Kalidas by महावीर प्रसाद द्विवेदी - Mahaveer Prasad Dwivedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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्‌ [ कालिदास फा आधिर्भाव-काल । कहानियों के राज्य में जा गिरे! श्रर्थात्‌ उनकी स्थिति का कुछ भी पता-ठिकाना नहीं, यह मेकदानल साइव की राय हुई । . फालिदास फे छुढे शतक में होने के श्र थो थो झलुमान विद्वानों ने किये थे उन सब का खणडन श्रध्यापफ मेफ्रडानल ने स्वयं दी कर दिया । इससे उनके दिपय में इम कुछ नहीं फदतते । पर अध्यापक महाशय को कालिदास के बहुत पुराने, '्र्थात्‌ इसा के पहले, पदलीं शताब्दी मैं; होगे का कोई ममाण नहीं मिला! श्नुमान की भी कोई जगदद श्ापकी नहीं मिली ।. श्यापने इस मददाकधि फो सिफें १०० चपें पढिले श्लौर पहुँचाया 1. “प्रपतप5, है 06९6 पड, कै पार फुर6०06 80८० 01 0त्तार ए0०सरोटतेठ९, छ००त0 कहव50प 0 8 [058 किक; हु व तेवड 11 एतै 01 10: ९ 01, छा उच 8 9९8 हू 0. 06 ठि रए पाल ै.. 0,” शर्थात्‌ पाँचयें शतक के झारम्भ में कालिदास के होने का श्रलुमान फरने के लिप यथेष् फारण है। बम १ इसलिए-- ४७३ ईसवी फा पक खुदा डुद्या लेख मन्दसोर मैं मिला है। यदद लेश फविता-वद्ध हैं। कविताकार का नाम था घत्सभट्धि। उसने फालिदासीय कविता का श्रदधुसरण किया है। कई चघातों में इस कवि फी कदिता कालिदास कीं कषिता से मिलती 'है। इसीसे सएदब . ने, श्र झन्यास्य ट्




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