साधना - पथ | Sadhna Path
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
136
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)साघना-पथ ११
चन्दाबाई-- क्या मे आपके सामने अनेक बार यह स्वीकार
नहीं कर चुकी हूँ; कि इसका सारा दोप सेरे ही मत्थे है। में नहीं
जानती थी कि वोध मीरा इतनी भावुक है। बह हँसी की बात
पर एसा आचरण करने लगेगी; पत्थर के ठाकुर जी को अपना
स्वामी कहेगी ।
रतनसी-- यही तो |
चन्दाबाई-- मै अब पढताती हूँ; महाराज । उसका
भावावेश; उसकी भक्ति छोर उसकी तन्मयता देख कर कभी-
कभी मुके डर होने लगता है। इसी से कहती हूँ; महाराज
जल्दी कीजिये। ,
रतनसी- में र्वय निश्चिन्त नही बेठा हूँ ।
चन्दाबाई--- प्रमाण ? बिना प्रमाण मै केसे मारने ?
रतनसी-- आज मालूम पड़ा कि अपनी बात पर विश्वास
कराने के लिये मुे तुस्हारे सामने भी प्रमाण की आात्रश्यकता
होगी ?
चन्दाबाई-- महाराज मे माता हूँ और अबला भी। ,
छन्त'पुरवासिनी होने के कारण हम लोगों का कार्येदोन्न बहुत ?
सीमित रहता है । पुरुषों का काये-दोत्र विशाल होता है; और
इसी से हम प्रमाणों-द्वारा इस बात का पता लयाना चाहती है
कि काये की व्यवस्था से हसारी प्रेरणा पढ़ी तो सही रह गई ।
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