लोक - रहस्य | Lok-rahasya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
134
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बाबू हैं
नल जन निकल अप नर नाथ न
करनेसें यतुर: हॉंगे,बद्दी बादू कहलावेंगे । हे कुरुकुलभूषण, दिष्णु-
के साथ इन वाबुओंकी बड़ी समानता होगी । ,शिंष्णुकी तरह
इनके पार लक्ष्मी भर सरस्वती दोनों पढेंगीं, विष्णुके समान
यह भी जनन्तशय्याशायी होंगे । ही समान इगफे भी दस
अवतार होंगे जैसे--मुन्शी, मार्ट चत्दी, सुतसद्ी, डाक्टर,
वकील, हाक्म, जमींदार, सम पक न्रिप्संपादक और निष्कर्मा ।
चिप्णुके समान सब जवताधख की. फरााक्रमफ साथ थह छोग
अखुरोंका बघ करेंगे। से
सती सवतारतों दुफ्तरीका, मास्ट्र-
भवतारमें छात्रोंका, स्टेशनमास्ट्र-अवतारमें बिना टिकटके
सुसाफिरोंका, द्यानन्दी-अवतारसैं भोजनभट्ट गुद-पुरोशितोंका,
मुतसद्दी-अचतारस अंगरेज ब्यापार्यिंका, डाक्टय-अवतारीं
रोगियोंका, घकील अवतार सुवक्किलोंका, दाक्िम-अवतारमं
मुकदमा लड़नेवालॉका, जमींदारावचलार रेयंतोंका, सम्पा-
दक्ावतारसें भठेमानलॉका जोर निष्कर्स्सघतारमें सब्खियोंका
बघ होगा |
महाराज ! भोर खुनिये । जिनका घखन मनमें एक शुभा,
कहनेमें दस गुना, लिखनेंमें सो गुना, कगउेमें इजार गुना हो, चददीं
बादू होंगे । जिनका बुर हायथमें पक गुना, मु हमें दसशुना, पीठ
सौसुना भोर कामके समय छोप हो जाय, घद्दी' बाबू होंगे । जिंन-
का सुस्तकोंमें, जवानी आानिपर धोकर,
बृढ़ापेफे समय घरवादीकें अधिलमें रहे, यही बाधू होगे ।' जिनके
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