अन्तस्तल | Antastal
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
83
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about आचार्य चतुरसेन शास्त्री - Acharya Chatursen Shastri
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ढजा ।
ज्र(ट
हाः | हाय ! ना, यह मुझसे न होगा ! तुम बीबीजी ! बड़ी बुरी हो,
तुम्ही न जागो | वाह ! नहीं, तुम मुझे तंग मत करो। मैं तुम्हारे हाथ
जोहूँ-पैरों पहुँ-देखो हाहा खाऊँ, बस इससे तो हद हैं ? अच्छा तु्हं
क्या पड़ी है ? तुम जाओ । ठहरो मैं भी तुम्हारे साथ चलती हूँ ।
ना, वहाँ तो नहीं, भला कुछ बात है ? इतनी बड़ी हो गई !
समझ नहीं भाई । कोई तो है नहीं, अकेले हैं । कोई क्या कहेगा ?
तुम्हें कहते छाज भी नहीं आती । हैँसती क्यों हो ! देखो--यह हैँसी
अच्छी नहीं लगती । बस कह दिया है--मैं रूठ जाऊँगी । एक बार
सुनी, दो बारें सुनी । तुम तो हाथ घोकर पाछे ही पड़ गई, अच्छा जाओ
आज मैं रंसोई नहीं जीपँगी, मुझे भूख नहीं है, मेरे सिरमें दर्द है-
पेट दुखता है। रैंपैनी ही कहे जाती हो, किसीके दुखकी भी खबर है ।
यह छो हँसी ही हँसी । इतना क्यों हँसती हो । हटो मैं नहीं बोलती-वाह !
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