हीरक प्रवचन | Heerak Pravachan [ Vol. - 7 ]
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
312
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १३ ].
पढ़ने से तपस्या करने की रुचि पैदा हो । दूसरी क्षमा करने की
भावना जागृत हो । तीसरी झदट्दिसा, प्राखि मात्र पर करूणा करना
विश्व के समसत- जीवों को झपने जैसा समकना । 'श्ीर उनके .
सुख दुःख में भागीदार बनना |
सत्साहित्य एक प्रकाश स्थम्म है। मानवों को अन्तर
ज्योति का दर्शन कराता है। 'और भूले भटकों को मागें पर लाता
है । जिससे गंतव्य स्थान पेर पहुंचा कर 'झात्म शान्ति देता है ।
ाप के द्वेथ में हीरक प्रवचन का सातवां भाग है । इसमें
रहे हुए प्रबचन बहुत सुन्दर, झात्म शान्ति दिलाने बाले, मोच्ष-
मागे के पथ प्रदर्शेक है। इसे इस निसंकोच सत्य सादित्य कह
सकते हैं ! क्योंकि इन प्रबचनों में इन विषयों पर--
सुपात्र-सेवा सन की जलन...
तपोमदिसा लि चिरालस्ब के झालम्ब
भावना भवनाशिली संघर द्वार
बन्घधन-विजय म् दिलका मलहस
शल्य-चिरसन विकीन कल्याण की कसौटी
मुक्ति की वरमाला स्सार
बहुत 'ाक्षक एवं रोचक रूप से विशद् विवेचन किया है ।
इन श्रवचनों के प्रवचनकार शाख््र विशारद पंडित मुस्ति
श्री ीरालालजी म० हैं। 'झापने बाल्यकाल से ही शाचार्ये श्री
खूबचन्दजी म० की सेवा में रद्द कर शास्रों का धष्ययन किया है |
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