एक धर्मयुद्ध | Ek Dharmyuddh
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
135
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
काशिनाथ त्रिवेदी - Kashinath Trivedi
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महादेव हरिभाई देसाई - Mahadev Haribhai Desai
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१, मजदूरों के घर-घर जाकर उनकी समूंची द्ालत के
बारे में पूछताछ करने, उनकी. रहन-सहन में कोई कभी
हो तो उसे सुधारने, संकट में उन्हें सहायता और सलाह देने,
तथा उनके सुख-दुः्ख में भरसक हाथ बैँटाने की कोदिश करना ।
” २. लड़ाई के दरम्यान अपने रुख और रवेंये के बारे में
मजदूरों को कुछ सलाह-सूचना श्राप्त करनी हो, तो उसका ऐसा
प्रबन्ध करना जिससे वह उन्हें तुरत श्राप्त हो सके ।
३. रोज़ एक नियत स्थान पर मजदूरों की आम-सभा
करके उनको लड़ाई के सिद्धान्त और उसका रददस्य समझाना ।
४. सज़दूरों के लिए रोज़ * सुबोध पत्रिकायें * निकालना, ताकि
लड़ाई के ये सिद्धान्त और इनका रददस्य उनके दिल में सदा
के लिए अंकित हो जाय; उन्हें सरठ और उच्च कोटि का साहित्य
हमेशा मिलता रहे; उनके मन और बुद्धि की उन्नति हो, शर
उन्नति के इन साधनों को वे अपने बालक्चों के लिए बपौती
में छोड़ सकें । '
(१) इस निर्णय के अनुसार जबतक लड़ाई चंलती रही,
सवैश्नी दोकरलाल बेंकर, अनसूयाबहन और छगनलाल गाँधी
रोक सुबह-दाम मज़दूरों के घर-घर घूमते; उनकी बस्तियों में
जाकर उनके आर उनके घरवालों के नाम-ठाम लिखत, उनके
पारिवारिक आय-व्यय के आँकड़े जानते, और इस प्रकार भविष्य में
उनकी हालत को ' सुधारने के लिए आवश्यक जानकारी श्राप्त करते;
मजदूरों में जो लोग लड़ाई से ऊब रहे थे, या भूख की पीड़ा से
भयभीत हो रहे थे, उनको समझाते और हिम्मत दिलाते; मरीज़ों
के लिए दवादारू का बंदोबस्त करते, और जो रोज़ी था मजदूरी
. स्ाइते थे, उनके लिए वेसे साधन जुटाने की कोशिदा करते थे )
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