फोनोग्राफ से स्टीरियो तक | Phonograph Se Sterio Tak
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6.3 MB
कुल पष्ठ :
199
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)2 फोनोग्राफ से स्टीरियो तक अब हर्ट्ूज लिखा जाने लगा है। इसलिए 1000 कंपन प्रति सेकंड उत्पन्न करने वाली ध्वनि की आयृत्ति हुई 1000 हर्टूज। तबले द्वारा उत्पन्न ध्वनि अथवा शेर की दहाड़ की आवृत्ति बहुत कम होती है जबकि सितार अथवा पायल की झंकार द्वारा बहुत ऊँची आवृत्ति की ध्वनि निकलती है। निम्न आवृत्ति की ध्वनि भारी लगती है और उच्च आवृत्ति की तीखी। लेकिन यदि हम तरंगों की आवृत्ति लगातार घटाते या बढ़ाते चले जाएं तो फिर क्या होगा? लगातार आवृत्ति घटाने पर ध्वनि भारी पड़ती जाती है फिर थप-थप जैसी आवाज सुनाई देती है और अंत में एक सीमा के बाद तो तरंगों द्वारा कंपन इतने धीरे रफ्तार से होते हैं कि वे हमारे मस्तिष्क पर ध्वनि संवेदना उत्पन्न ही नहीं कर पाते। हमें कछ भी सुनाई नहीं देता। उदाहरणार्थ जब हम अपना हाथ कान के पास लाकर इधर-उधर हिलाते हैं तो हम हवा में तरंगें तो उत्पन्न करते हैं लेकिन फिर भी हमें कुछ भी सुनाई नहीं देता। प्रयोगों द्वारा पाया गया है कि तरंगों की आवृत्ति यदि 20 हर्टज से कम है तो साधारणतया वे हमें सुनाई नहीं पड़तीं। कान के पास हाथ इधर-उधर करने से 4-5 हर्टून की तरंगें उत्पन्न होती हैं इसलिए ऐसा करने पर हमें कछ भी सुनाई नहीं देता। बहुत ऊँची आवृत्ति की तरंगें भी हमारे दिमाग पर ध्वनि का असर चित्र 1 हाथ हिलाने पर उत्पन्न ध्वनि पैदा नहीं कर पातीं। मनुष्य 20 000 तरंगों का सुनाई न देना हर्ट्ज से अधिक ऊँची आवाजें सुन
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