त्रिलोकसार | Triloksaar

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Triloksaar by पंडित मनोहरलाल शास्त्री - Pandit Manoharlal Shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(४) अंक आते तौ दाहकीका अंक उपरिम भाग विषे इकवाईका अंक द्वितीय भाग विषें छिखिए । बहुरि ऐसैंही गुणकारकें प्रथर्मादि अंकनि करि गुण्यकें द्वितीयादि अंकनिकों गुणि द्वितीयादि पेंक्तिनि विषें लिखनें । बहुरि तिस यंत्रका ड्योढा जोड़ दीजिए जो प्रमाण आवे सो गुणित राशि जाननां । उदाहरण-जैसैं एक अठाईसकों चौसठि करि गुणना होइ तहां ऐसा यंत्र करिए । वहुरि याकों ऐसें ब्योठा चीरिए........ बहुरि याविषें छक्का चौका करि गुण्यका प्रथम अंक एककों गुणि प्रथम पंक्ति वि्षें द्वितीय अंक दूवाकों गुणि तृतीय पंक्ति विषें छिखने........ बहुरि इनका ड्योढा जोड दीजिए तब दूवाका दूवा ढिख्या अर आठ तीन ,आठकों जोड़ें उगर्णीस ताका पीछें नांवां छिख्या हाथ एकढागा सो अर च्यारि दोय च्यारि जोड़ें ग्यारह भए ताका ताके पीछें एका छिख्या बहुरि हाथि ढागा एक अर एका छक्का जोड़ें आठ मया सो वाके पीछें लिख्या ऐसें इक्यासीसै बाणवे प्रमाण आवे हैं । अथवा संमेदन करि गुणन हो हैं | तहां जैसें सुगम गुणन होय तैसें गुण्यका वा गुणकारका खंडकरि जुदे जु्दे तिन खंडनिकों गुणि जोड दीजिए । उदाहरण । जैसें एकसी अठाईसकों चौंसठि कार युणना होइ तहां चौसठिकों दोय खंड कौये साठि अर च्यारि तहां साठि करि गु्णें छिहंतरिसै असी होइ अर च्यारि करि गुण पांचसैं बारह होइ, बडुरि ताकों सोलह करि गुर्णें इक्यासीसि वाणवे ही होइ | बडरि जहां गुण्ययुणकार बहुत होइ तहां परस्पर ग़रणन करना । जैसें ध्यारि सोठह चौंसठि दोय ऐसें च्यारि राशि ४1१६)६४।२ गुण्य गुणकार हैं । इनकों परस्पर गुणिए तहां च्यारिकों सोलह करि गु्णें चौंसठि वहरि याकों चॉसठि करे गुण्णें च्यारि हजार छिनवै याकों दोयकरि गुणें इक्यासीसै वाणवै । अथवा गुण्य गुणकारनि विष काहका गुणकार रूप संभेदन करिए । काट्टकों किसी करे गुणि लिख दौजिए पीछे तिनकों परस्पर गुणिए । जैसे तिन गुण्य गुणकारनि विषें चौसठिका संभेदन करे च्यारि गुणा सोठह छिख्या | बह्ीरे पूरे च्यारिका अंक था ताकों इस च्यारिका अंक करे गु्णें सोलह भए | ऐसैं कीएं ऐसा १९|१६१६२ राशि भया इनकों परस्पर गुणें भी इक्याससीसै वाणवे होइ। ऐसैं विधान जानना । संभेदनादि करनेका प्रयोजन इस शाख्र विें आवैगा तिसतैं इहां स्वरूप दिखाया है । ऐसें वा अन्य प्रकार भी गुणन विधान जानना । बह्ढरि इहां इतना जाननां गुण्यगुणकार विषें कोई राशि वि्ें एक घटाईए वा वधाईए तो अन्य राशि एक ही होइ तो. तितनेही घटैं वर्षें । अर अन्य राशि बहुत होइ तौ तिनकों परस्पर गुणें जितने होइ तितने घर्टैं वर्जें । जैसे चौसठि करे एकसी अठाईसकों गुणें इक्यारसासै बाणवे हो अर जो चौंससिमेस्यों एक घटाइंए वधाईए तों तिस प्रमाणमेंस्यों एकसीं अठाईस घटै वे | अर एकसी अठाइसमेंस्यें एक घटाएं वघाए चौंसठि घं८ वे । बडरि जैसैं च्यारि सेठह चौसठि दोय एऐसैं गुण्य गुणकार होइ तिनकों परस्पर गुर्णे इक्यासीसै वाणवै होइ । बदुरि जो सोखहमें एक घटाए वधाए अन्य राशि च्यारि 'चौंसठि दौय इनकों परस्पर गुणें जितने होंइ तितने घरटैं वरषैं । बहुरि एक घटाए वधाए जेता प्रमार्ण घट वध तहां आधा आदि वा दोय आदि घटाएं वधाए तिस प्रमाणतैं आधा सादि




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