अन्त र्दृष्टि | Ant Rdrashti

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Ant Rdrashti by भुवनेश्वरी भण्डारी - Bhuvaneshvari Bhandariमहेंद्र कुमार - Mahendra Kumar

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महेंद्र कुमार - Mahendra Kumar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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त्ामार दान प्रस्तुत “अन्तहष्टि' में संकलित प्रवचनों एवं संस्मरणों के लेख़न-कार्य से लेकर मुद्रण पर्यन्त मुझे यह लिखते हुए अत्यन्त गोरव एवं सन्तोप की अनुझूति हो रही है कि इस प्रयास हेतु परमपुज्य गुरुवर मेवाड़ केसरी श्री मोहनलाल जी महाराज साहब एवं पूज्य मुनिवर श्री महेन्द्कुमार जी “कमल' का शुभ भाक्षीवादि एवं मार्गददान स्व मेरे साथ रहा जिसके फलस्वरूप मैं इस स्मारिका को प्रकाक्षित करने का दृढ़ संकल्प कर सकी । संकलन कार्य निःसन्देह मेरे लिए अत्यन्त दुष्कर एवं नवीन था लेकिन इन महान्‌ तपस्वियों की स्नेहसिक्त प्रेरणा के संवल से ही मैं यह पुस्तक प्रकादित कर सकी इस कृति मे पूज्य गुरुवर श्री महेन्द्र मुनि 'कमल' के ओजस्वी एवं मधघुर प्रवचनों की पावन श्छखला का रसास्वादन आप करेंगे । जिसमे उनके व्यक्तित्व की सुवास एव सुरभी व्याप्त है । इसमे मुनिश्री की साधनोज्वल वाणी प्रस्फुटित हुई है जो समाज के अन्तराल मे गूँजकर उसे सवंतोमुखी उन्नति का मागे प्रदास्त करेगी तथा जिसकी सौरभ दिगदिगन्त तक फैलकर भाध्यात्म प्रेमियो की प्यास वुझाती' रहेगी । द्वितीय खण्ड में मेरे पतिदेव स्वर्गीय श्री गजेन्द्रसिहजी मण्डारी की पुण्य-पावत स्मृति में उनके पुरुषार्थपुर्ण जीवन की' झांकी संस्मरणो के माध्यम से आप पढ़ेंगे । यह संकलन जहाँ एक सत की वाणी को मुखारित करता है, वही दूसरी ओर एक कर्मनिष्ठ व्यक्ति के जीवन का दपंण दर्शाता है । ..... पाठक वर ने इस स्मारिका के माध्यम से जहां एक भर अध्यात्म लाभ लेगा वही दूसरी ओर समाज एव देश के कल्याण के लिये सोचने को अवश्य विवद्य होगा । मेरी यह हार्दिक अभिलापषा है कि यह सुक़ति केवल प्रचार का साघन-सात्र न बनकर मानव-जीवन के उत्कर्ष पथ का सुजन कर सकी तो मेरा यह ॒ प्रयास सार्थक होगा । रामकृष्ण विवेकानन्द आश्रम रायपुर के संचालक पृज्यपाद स्वामी आत्मानन्द जी महाराजजी ने भपने अत्यधिक व्यस्त समय मे से समय निकालकर प्रस्तुत पुस्तक के विमोचन के लिये स्वीकृति प्रदान कर हमे गोरवान्वित किया, इसके लिये मैं उनकी हृदय से आगमारी हूँ । मेरे परम श्रद्ध य पूज्यवर वाबूजी (ससुर साहब श्रीमान जेनरत्न सुगनमलजी साहब भण्डारी) के प्रति मैं किन शब्दों में कृतज्ञता व्यक्त करू जिन्होंने विपदामो की घड़ी मे धंयं के साथ मेरा मागे प्रशस्त कर मुझे समाज सेवा के लिये प्रेरित किया ।




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