शरत् के नारी पात्र | Sharat Ke Nari Patra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
354
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बढ़ी बहिन
[ बड़ दिदि |
के
शरत्की “बडी बहिन' का प्रकागन वँंगला-साहित्यमे एक घटना है ।
जिस कथावस्तुको लेकर यह उपन्यास चलता है, उसका तत्कालीन बग-
समाजने तीन्न विरोध किया, और उसके अज्ञात लेखकको बडे ही आडे हाथो
लिया गया । इस तीखे विरोधका एकमात्र कारण यट था कि “बडी बहिन में
एक विधवा नारीके हृदयमे फिरसे रागात्मिका वृत्तिका प्रादुर्भाव दिखाया
गया है । परतु महानू कलाकार तो सदैव ही अपने समयके सबसे बडे विद्योही
हुआ करते हे । गरत्ने अपनी आँखों देखा था कि केवल मात्र एक दवेत
साडीके पहिना देनेंसे ही एक विधवा नारीकी वासना एव उसके हृदयकी
रगीनियाँ शात नही हो जाती । वे सूक्ष्म मानव-जीवनके अत्द्वष्टा थे ।
उन्होने नारीके अत करणमे पैठकर देख लिया था कि वहाँ सदैव ही असीम
स्नेहका सतत स्रोत ब्र्तंमान है, जो. सरस्वतीकी भाँति गुप्त रढनेपर
भी-यथावसर प्रकट हुए बिना नहीं रहता ।
' और फिर 'वडी बहिन'का कथानक ऐसा विद्वेप आघात पहुँचानेवालम
भी नहीं है । एक धनी पिताका एकमात्र पुत्र सुरेन्द्र अपने घरसे रूठकर
कलकततें चला जाता है । वहू शिशुके समान सरल एवं निरीह तथा परले
सिरेका .लापरवाह है । वहाँ वह एक जमीदारकी छोटी पुत्रीके शिक्षकके
रूपसे रहने छगता है । जमीदारकी बडी लडकी माधवी (बडी वहिन ) ;
जो वाल-विधवा है, घरका सारा प्रबंध करती है । उसकी मंमताका
एक भाग सुरेन्द्रको भी मिलता है । एक दिन जब वहूं अचानक ही जमीदार-
'का घर छोडकर चल देता है तो उसे तथा माघवी दोनोको ही ज्ञात होता
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