व्यावहारिक सभ्यता | Vyavaharik Sabhyata
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
111
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)'ब्यावद्ारिक सभ्यता १६
माँगना नहीं चाहिये । और न उस वस्तु को तरफ घूर घर कर ही
देखना चाहिये ।
( ४१ )
भोजन-पंक्ति में अन्य महाशयों से झधिक कोई चीज घर से
लाकर या बाजार से संगाकर बिना किसी जरूरी कारण के या
पंक्ति में बेठें महाशयों की अनुमति के नहीं खाना चाहिये ।
( धर
किसी के यहाँ भोजनाथ--निमंत्रण में जाने पर, वहाँ अपने
चर से कोई चीज़ लेजाकर खाना उसका अपमान करना है, जिसके
यहाँ आप भोजनाथे गये हैं ।
( ४३ )
भोजन के निमंत्रण में 'झन्य सहाशयों के घर अपने छोटे छोटे
बच्चों को लेजाना उचित नहीं होता । हाँ, स्त्रियाँ ले जावें तो कोई
हानि नहीं ।
( ४ )
यदि स्त्रियाँ आस पास हों और आपके कंठ में उस समय
कफ या खाँसी 'छागई हो तो जेसे तैसे रोको । दूर चले जाना या
बाड़ में जाकर खाँसना ठीक है । अथवा इस ढंग से उस खाँसी
या कप्ट को शमन करो कि उन स्त्रियों का ध्यान ापकी तरफ
ाकषित न हो ।
न ( ४५ )
यदि कह्दी स्त्रियाँ बेठी हों तो वहाँ चुपचाप चला जाना ठीक
नहीं है । ऐसा कोई शब्द करके आगे बढ़ो कि हें तुम्हारा छाना
पहले से ही मालूम हो जावे ।
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