क्वार्टर | Quarter
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.47 MB
कुल पष्ठ :
195
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)२० बवार्टर तथा अन्य कहां
“बजाय इसके कि शुक्रिया अदा करो जो सात मील जाकर वापस रची
आया हूं मं
“शुक्रिया अदा करती अगर तुम उसी समय उतर जाते और मुझे वर्ष हे
अपनी सीट ले लेने देते ।'' कस
मैंचे ठददाका लगाया और बैठने के लिए जगह ढूँढ़ने लगो । वहां भी चार
तरफ वहीं विखराव और अव्यवस्था थी जो दिल्ली में उसके घर दिखाई दि
करती थी । हर चीज़ हर दूसरी चीज़ की जगह काम में लाई जा रही व!
एक कुरसी ऊपर से नीचे तक मंँछे कपड़ों से दी थी । दूसरी पर कुछ
घिखरे थे और एक प्लेट रखी थी जिसमें वहुत-सी कीछें पड़ी थीं।
मैं झट से तुम्हारे लिए चाय बनाती हूं,” मिस पाल व्यरत होर्ग
उठने लगी ।
“अभी मुझसे बैठने को तो कहा नहीं, और चाय को फिक्र पहले से कर्ण
लगीं ?” मैंने कहा, “मुझे वैठने की जगह वता दो और चाय-वाय रहने दो!
इस वक्त तुम्हारी 'वौहीमियन चाय' पीने का ज़रा मन नहीं है!
तो मत पियो । मुझे कौन झंझट करना अच्छा रूगता है ! बैठने की दी
मैं अभी बनाए देती हूं ।” और कपड़े-अपड़े हटाकर उसने एक कुरसी खाली डे
दी | वायीं तरफ एक बड़ी-सी मेज थी, पर उसपर भी इतनी चीजें पड़ी थीं हि
कहीं कुहनी रखने तक की जगहू नहीं थी । मैंने बैठकर टांगें फलनि गे ,
कोशिश की तो पता चला कपड़ों के ढेर के नीचे मिस पाल ने अपने बनाएं दे
रख रखे हैं । मिस पाल फिर से अपने विस्तर में तकियों के सहारे बैठ गई है,
गद्दे पर उसने वहीं पीना रेणमी कपड़ा बिछा रखा था, जिसे देखकर मु र्षि
हुआ करती थी । मेरा उस समय भी मन हुआ कि उस कपड़े को
फाड़ दूं या कहीं आग में झोंक दूं । मैंने सिगरेट सुछगाने के लिए मेज से दि
सछाई की डिबिया उठाई मगर खोलते ही वापस रख दी। डिबिया मैं
सलाइयां नहीं थीं, गुलावी-सा रंग भरा था 1 मैंने चारों तरफ नजर्र दर
मगर आर डिचिया कहीं दिखाई नहीं दी 1
उठी जोर चमरे से चली गई । मैं उतनी दें दे मे
ठा मान कमर ने चला गई | मैं उतनी देर आसपास देखता रहा । मुर्े
से दिन दो याद हो बाई शिस दम
नस दिन में मिस पाठ के घर देर सका बैठा 5
१
स्ियासलाई रद कक िर्शि
_ “दियासछाई किचन में होगी, मैं अभी लाती हूं” कहती हुई मिस मी ही
2 पद
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