मनुष्य जीवन की उपयोगिता | Manushya Jivan Ki Upayogita
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
132
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ७ )
उसने कुछ प्राचीन श्रमूदय अ्न्थों का अचुसंघान भी किया । इन अन्यों
में कुछ वाक्य उसने अल्तग लिख लिये शरीर उनके लेखक और, जिस समय
जिस स्थान में वे लिखे गये थे, उस समय श्र उस स्थान का एक
अच्छा ब्योरा श्रनुमान से उसने दिया है, जिससे सिद्ध दोता है कि
फाऊत्सू कितना बडा विद्वान, विचारवान श्र बुद्धिमान था |
शोधे हुये श्रन्थों मे से एक बढा प्राचीन दे । सैकडों वर्ष तक बड़े
बढ़े लामे भी उसे नहीं समझ सके | यह नीति संबन्धीं एक छोटी सौ
पुस्तक है घर प्राचीन गिसना सोफिस्टस अथवा ज्ाह्मण भापा शोर
लिपी में लिखी हुई है । यह पुस्तक कहीं लिखी गई झथवा इसे किसने
लिखा काउत्सू इसका कुछ पता नहीं देता । उसने इसका चीनी भाषा में
अनुवाद किया यद्यपि उसके कथनाजुसार मूल ग्रन्थ की रोचकता झट्धुन
'चादित अन्थ में नहीं झाई । इस पुस्तक के सम्बन्ध में बोन्सीज शऔर
दूसरे विद्वानों के सत भिन्न मिन्न है । जो इसकी विशेष अ्रशंसा करते
हैं उनका कहना है कि इस पुस्तक का रचयिता तत्वचेत्ता कानप्रयूशस है ।
सूल पुस्तक खो गई है | श्राह्मणी भाषा में लिखी हुई पुस्तक खोई हुई
पुस्तक का श्रनुवाद है । दूसरा दूल कहता है कि कानफ्यूशस का सस-
कालीन और टेग्रोसी पंथ का संस्थापक चीन देश के दूसरे तत्वदेत्ता
ल्याओ कियून ने इंसे निर्माण किया | परन्तु भापा के सम्बन्ध में
दोनों दु्लों के विचार सामान है । एक तीसरा दल ओर है । वह पुस्तक
के कुछ विशिष्ट भावों और लक्षणों को देख कर कहता है कि पुस्तक ब्ठो
डंडसिस नाम के घ्ाह्मणों ने लिखा था ) उसके सिक्न्दर बादशाह के
पास एक पत्र भेजा था जो चोरोपीय लेखकों को मालूम है । तीसरे दल
से काउत्सू का मत बहुत कुछ मिलता जुलता है। वह कहता है कि
पुस्तक का लेखक कोई प्रचीन ब्राह्मण है और उसकी थ्रोजस्विनी
भाषा से ज्ञात होता है कि यह मूल अ्न्थ है भाषान्तर नहीं है| शंका
एक बात की होती है कि उसकी योजना ( 180 ) पूर्वीय लोगों के लिये
बिल्कुल नवीन है पर यदि उसके विचार पूर्वीय देशों के कि से
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