मानव शास्त्र | Manav Shastr
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
20 MB
कुल पष्ठ :
525
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मानव-शास्त्र
व
मानव-शास्त्र का विषय-चेत्र
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इस पुस्तक का मुख्य विषय “मानव-हवास्त्र' (१0000) है ॥
विषय को ठीक तौर से समझने के लिए यह उचित जान पड़ता है कि हम 'मानव-
शास्त्र की जरूरी बातो पर प्रकाश डालें । इस अध्याय में उन्हीं बातों पर हम
प्रकादा डालेंगे ।
१. “मानव-शास्त्र' की व्याख्या न
'मानव-दास्त्र' (औएधि00010४) क्या है ? जेकब्स तथा स्टर्न ने
'मानव-दास्त्र' की निम्न व्याख्या की है *-
“'मानव-समुदाय का सृष्टि के प्रारभ से लेकर अब तक जो शारीरिक,
सामाजिक तथा सास्कृतिक विकास हुआ है, उसका वंज्ञानिक अध्ययन मानव-
शास्त्र कहाता है ।'' *
मानव-समुदाय के इारीरिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक विकास का
वैज्ञानिक अध्ययन कैसे किया जाता है ? गप-दाप के लिए तो लोग वैठ कर जंगली
तथा सम्य जातियों के रीति-रिवाज़्ों पर टीका-टिप्पणी किया ही करते है।
इसी कारण पहुले-पहल अरस्तु ने “एन्योपौलोजिस्ट'--यह शब्द गढा था, इसका
उस समय अभिप्राय था. मनुष्य का मनुष्य के विषय में गप-दाप लडाना। यह
गप-शप, यह टोका-टिप्पणी वैज्ञानिक नहीं कहीं जा सकती । वेज्ञानिक-दृष्टि से
मानव-समुदाय के शारीरिक, सामाजिक तथा सास्कृतिक विकास का अध्ययन करने
के लिए 'नानव-शास्त्र' को कुछ क्षेत्रों में विभश्त किया गया है । जिन क्षेत्रो में
इसे विभकत किया गया है, वे निम्न है --
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