मानव शास्त्र | Manav Shastr

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Manav Shastr by प्रो. सत्यव्रत सिद्धांतालंकार - Prof Satyavrat Siddhantalankar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मानव-शास्त्र व मानव-शास्त्र का विषय-चेत्र (8एछवछएा-व2प7छार 200 काका 0 उत्सपाह00071.0071) इस पुस्तक का मुख्य विषय “मानव-हवास्त्र' (१0000) है ॥ विषय को ठीक तौर से समझने के लिए यह उचित जान पड़ता है कि हम 'मानव- शास्त्र की जरूरी बातो पर प्रकाश डालें । इस अध्याय में उन्हीं बातों पर हम प्रकादा डालेंगे । १. “मानव-शास्त्र' की व्याख्या न 'मानव-दास्त्र' (औएधि00010४) क्या है ? जेकब्स तथा स्टर्न ने 'मानव-दास्त्र' की निम्न व्याख्या की है *- “'मानव-समुदाय का सृष्टि के प्रारभ से लेकर अब तक जो शारीरिक, सामाजिक तथा सास्कृतिक विकास हुआ है, उसका वंज्ञानिक अध्ययन मानव- शास्त्र कहाता है ।'' * मानव-समुदाय के इारीरिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक विकास का वैज्ञानिक अध्ययन कैसे किया जाता है ? गप-दाप के लिए तो लोग वैठ कर जंगली तथा सम्य जातियों के रीति-रिवाज़्ों पर टीका-टिप्पणी किया ही करते है। इसी कारण पहुले-पहल अरस्तु ने “एन्योपौलोजिस्ट'--यह शब्द गढा था, इसका उस समय अभिप्राय था. मनुष्य का मनुष्य के विषय में गप-दाप लडाना। यह गप-शप, यह टोका-टिप्पणी वैज्ञानिक नहीं कहीं जा सकती । वेज्ञानिक-दृष्टि से मानव-समुदाय के शारीरिक, सामाजिक तथा सास्कृतिक विकास का अध्ययन करने के लिए 'नानव-शास्त्र' को कुछ क्षेत्रों में विभश्त किया गया है । जिन क्षेत्रो में इसे विभकत किया गया है, वे निम्न है -- 1 2पधि०एण०ह४ न“ 62 पाते . अवि०0०5, 2 प्रादा, हाएत उ.००5, ऐ1500प्ा50 2 **.57ा..शिणए्णण०््टू४ 15 फिट 5घाधा110 50४ ए ६ एए/डाए्ी, 50- लावा शााते ८्ाघिय तट टो0एफाहए, 0 0हघ्शा00ा एव वपाएशा 9टा1छु5 चाट पिला घ]ए6ाघा0८ एप ८ाविा --नद08% दाद डाटा न




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