प्राचीन पंडित और कवि | Pracheen Pandit Or Kavi
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
143
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about महावीर प्रसाद द्विवेदी - Mahaveer Prasad Dwivedi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)समपमुति रद
यतुष अंक के जय मे माधव से उसका समन सकरंद कहना
हुन- तदक्तिप्ठं पाराखिस्थसस्सेद्सपरादा नगरोसेय पिन
शक: न जिससे चिदित दवा हैं कि पारा चर सिखु नाम
दो नदियों के संगम पर पश्शवतीनलगर्ग बसी थी ! इस
बात को कवि से नदस अंक के झारम में पुनर्राप खुए किया
ई ! चढ़ा उसने लिंग्बा हैं--
फडाचती बिसलदारि दिशालसिन्धु-
पारासरित्परिकरच्छुलतों. बिमतिं
उत्तबसीधसुरमग्द्रियी पुराट्र
सचघझ्पादिनधिसुक्नमिघान्तरिस्म
संपा चिभाति लचगा सज़ितोस्मिपंकि-
रखागमे. जनपदममदय.. थस्याः
र्रर्गाधिणी पियनचोपलमालभारि+
सेप्योपकण्ड दिपिना पलेयों . घिमान्ति
यहाँ णक लयसाननरों झा मी साम छाया हैं,
जले सखुखित होता हैं. कि पश्ायनी के फास ही
लगशा मी बहती थी ! इसी अंक में, कुछ दूर शामें,
लिखा है -
बायश् मघुमती सिन्खुसम्मेद्पादनों सगदान मचानीं-
सुलिगेपरिसेयप्रतिएर सुदर्गबिन्दुरिस्यास्पायतें ।””
इससे यह भी जाना जाता है कि चहाँ मघुमती नाम को
मो नदी थी और उसके तथा सिंखु के संयस पर स्टुबर्णुचिदु-
नकन *
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